RAIPUR. विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन देर रात तक सदन चला। दरअसल, राज्य सरकार के खिलाफ विपक्ष की तरफ से 109 बिंदुओं के आरोप पत्र के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जो गिर गया।
विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार दोपहर 12 बजे से चर्चा शुरू हुई, जिसमें पक्ष विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित भी करनी पड़ी। रात करीब 1:01 बजे अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकृत हो गया। करीब 13 घंटे की चर्चा के बाद विपक्ष के आरोपों का सत्ता पक्ष की तरफ से करारा जवाब दिया गया। चर्चा के दौरान सदन में जय सियाराम से लेकर चौकीदार चोर है के नारे भी लगे।
दरअसल, विपक्ष की तरफ से विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की, जिसका जवाब मंत्री रविंद्र चौबे ने दिया। प्रस्ताव के अंत में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि प्रशासन का राजनीतिकरण में परिवर्तन हुआ। इसके जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हां हमने परिवर्तन किया, यह परिवर्तन लोगों के जीवन में हुआ है।
सीएम ने कहा कि प्रजातंत्र में विपक्ष का अधिकार होता है कि वे अविश्वास करे। सत्ता पक्ष के पास भी मौका होता है कि अपनी बात रखें। इन्होंने 109 आरोप लगाए पर कोई तथ्य नहीं दिए। परिवर्तन केवल सत्ता के लिए नहीं, लोगों के जीवन में भी बदलाव आना चाहिए, इसलिए परिवर्तन की मशाल लेकर हमारे नेता परिवर्तन यात्रा में निकले थे। आज हमने किसानों की जिंदगी बदली है। बस्तर, सरगुजा में परिवर्तन हुआ है। जब बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं, तब संतोष होता है।
जवाब में सीएम भूपेश ने कहा कि पहले जब अविश्वास प्रस्ताव आता था, तब नक्सली समस्या पर पहले बात होती थी। इस बार सदस्यों ने इस पर बात नहीं की, यह हमारी उपलब्धि है। भेंट मुलाकात में बस्तर में रात रुका, सभी से मिला। जो सबसे बड़ा कमेंट मिला, जिसने मेरे दिल को छू लिया। जैन समाज के लोगों से मैंने पूछा कि इन चार सालों में क्या फर्क आया। उन्होंने कहा कि रिश्ता करने में बस्तर में अब दिक्कत नही है। आसानी से लोग रिश्ता दे देते हैं, क्योंकि बस्तर बदल गया है। पहले बस्तर में सड़कें काट दी जाती थी। आज सड़के काटी नहीं जाती, ये परिवर्तन बस्तर में देखने को मिला है। पिछली सरकार ने जो स्कूल बंद करा दिए थे, उसे हमने आरम्भ कर दिया। राशन पहुंचाना भी पहले टेढ़ी खीर थी। अब कितना आसान हो गया है।
विपक्ष के आरोपों का दिया जवाब
-बस्तर, सरगुजा या मानपुर, दो मांगे मुझसे हुई। एक बैंक और दूसरी स्वामी आत्मानंद स्कूलों की।
-बस्तर के बच्चों को शिक्षित कर दीजिए, सुपोषित कर दीजिए, वे अपनी जिंदगी स्वयं संवार लेंगे।
-20 हजार करोड़ की इनपुट सब्सिडी मिली, जिससे प्रदेश के किसान खुशहाल हुए।
-आपके समय तो 105 करोड का ऋण माफ हुआ, हमने 9500 करोड़ का ऋण माफ किया।
-245 करोड़ का गोबर खरीदा 291 करोड़ की सामग्री बेंचा घाटे का सौदा नहीं है
-यह कबीर, बाबा गुरु घासीदास की भूमि है। शांति का टापू है। अपनी संस्कृति के लिए हम काम कर रहे हैं।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव, कब और क्यों होता है इसका उपयोग
संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन अनुच्छेद 118 के तहत हर सदन अपनी प्रक्रिया बना सकता है जबकि नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था है कि कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है। प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद या विधायक से इसे पेश करने के लिए कहता/कहती हैं। यह बात सदन में तब उठती है जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है। अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल होना चाहिए तभी उसे स्वीकार किया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर की मंजूरी मिलने के बाद 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा कराई जाती है। चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कराता है या फिर कोई फैसला ले सकता है।