RAIPUR. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की तरह रायगढ़ में एक से तीन जून तक तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय रामायण महोत्सव होगा। संस्कृति विभाग द्वारा इस आयोजन की जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है। आदिवासी नृत्य महोत्सव की तरह ही देश के अनेक राज्य सहित विदेशी कलाकारों को भी बुलाया जा रहा है। शीघ्र ही छत्तीसगढ़ की धरा पर देश-विदेश के कलाकारों द्वारा रामायण की अनूठी प्रस्तुति देखने को मिलेगी।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से भगवान श्रीराम का गहरा रिश्ता है। मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम दंडकारण्य से होकर गुजरे थे और छत्तीसगढ़ के वनों का भाग ही दंडक अरण्य का हिस्सा था इस बात को ध्यान में रखते हुए आयोजन में अरण्य कांड के प्रसंगों पर स्पेशल प्रस्तुतियां होंगी। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रामायण महोत्सव में कई राज्य से आने वाले मानस मंडली के कलाकार दोपहर दो से संध्या छह बजे तक और विदेशी कलाकार रात आठ से दस बजे तक प्रस्तुति दी जाएगी। इस आयोजन में अरण्यकांड पर केंद्रित प्रसंगों पर अनेक राज्य से आए मानस दलों के साथ ही विदेशी दलों के द्वारा रामायण की प्रस्तुति दी जाएगी। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में सामूहिक हनुमान चालीसा और भव्य केलो आरती का किया जाएगा। केलो नदी के तट पर हजारों दीप दान करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि रामायण की कथा कई भाषा में लिखी गई है और कई देश में इनका मंचन किया जाता है। इनकी सुंदर प्रस्तुति करने के लिए रायगढ़ में रामलीला मैदान बनेगा।
संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहली बार संस्कृति विभाग द्वारा राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ़ के रामलीला मैदान में होने जा रहा है। इसमें प्रथम विजेता को पांच लाख, द्वितीय को तीन लाख और तृतीय विजेता मंडली को दो लाख रुपए प्रदान किया जाएगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में तुलसीदास जी का रामचरित मानस जन-जन में व्याप्त है। अब रामायण महोत्सव के माध्यम से वाल्मीकि से लेकर भवभूति तक भगवान राम के आदर्शों की झलक देखने को मिलेगी। रामायण का विस्तार कम्बन के तमिल रामायण से लेकर कृतिवास के बंगला रामायण तक है। इसके साथ ही दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्र के कई देश में भी इसके कई रूप विद्यमान है। रामायण महोत्सव के द्वारा श्रीराम के चरित्र के इन सुंदर रूपों की झलक दर्शकों को मिल सकेगी।