BHILAI. भिलाई को मिनी इंडिया कहा जाता है। पूरे देश के विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों ने भिलाई को मिनी इंडिया के रूप में तैयार किया है। वहीं इसमें सबसे बड़ा योगदान रहा भिलाई की बहुओं का, जिन्होंने यहां अपने-अपने प्रांतों, राज्यों की संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखा और मिनी इंडिया की कल्पना को साबित किया।
स्वयंसिद्धा ‘ए मिशन विद ए विजन’ ने इस काम का बीड़ा उठाया है और एक बड़े कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि भिलाई की बहुओं ने कैसे अपनी भाषा, संस्कृति परिवार सब को छोड़कर एक अनजान परिवेश में आकर एक-दूसरे की संस्कृति को अपनाया और अपनी भारतीयता को जीवंत भी रखा है। एक-दूसरे के साथ कुछ ऐसे घुली-मिली कि आज भिलाई केवल स्टील प्लांट की वजह से ही नहीं अपनी बहु संस्कृति की वजह से भी देश और दुनिया भी में जाना जाता है। इस कार्यक्रम की संकल्पना एवं निदेशन डॉ.सोनाली चक्रवर्ती का है।

उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल की शाम छह बजे NSG ऑडिटोरियम सेक्टर-4 में आयोजित इस कार्यक्रम में सौ से ज्यादा कलाकार हैं और तीन ऑडियो-विजुअल शोज़ होंगे जिसमें स्लम क्लास कच्ची-धूप के बच्चे भी बच्चों पर आने वाले पढ़ाई व महत्वाकांक्षाओं के बोझ से बचाने के लिए एक शो करेंगे। एक महीने की प्रैक्टिस, सौ से ज्यादा कलाकार और उसमें भी 80 परसेंट से ज्यादा गृहिणियां है और कामकाजी महिलाएं भी हिस्सा ले रही है। 32 लोगों की कोर कमेटी जिसे स्वयंसिद्धा ने ‘बत्तीसी’ नाम दिया है पूरे जी-जान से इस काम में जुटी हुई है। महिलाओं की यह एकता एक मिसाल कायम कर रही है। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण डॉ.तीजन बाई उपस्थित रहेंगीं। सोनाली चक्रवर्ती का कहना है कि वे स्वयंसिद्धा भी है और भिलाई की बहू भी जिन्होंने सामान्य बंधी-बंधाई परिपाटी को तोड़कर अपनी पहचान बनाई है वह हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत है।






































