IMPHAL. मणिपुर के हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में अज्ञात बदमाशों ने वन विभाग की इमारत में आग लगा दी, जबकि जिले में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है. अधिकारियों के मुताबिक एक समूह ने आधी रात में तुइबोंग क्षेत्र स्थित रेंज वन अधिकारी के कार्यालय भवन में आग लगा दी, जिसे बुझाने के लिए दमकल की कई गाड़ियों को लगाया गया. आग लगने से लाखों रुपये की सार्वजनिक संपत्ति कथित रूप से नष्ट हो गई और कई आधिकारिक दस्तावेज जल गए. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार अगला आदेश दिए जाने तक जिले में शाम पांच बजे से सुबह पांच बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा.
अधिकारियों ने बताया कि जिले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है अैर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद रहेंगी. पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘स्थिति अब भी गंभीर है. हर प्रकार की अप्रिय घटना को रोकने के लिए शहर के सभी प्रमुख चौराहों और बड़े इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.’ चुराचांदपुर में शुक्रवार रात प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच फिर से झड़प हो गई थी और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया था.
स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) द्वारा शाम चार बजे तक बुलाए गए बंद के बाद की गई पुलिस कार्रवाई में कुछ लोगों की मौत हो गई और कुछ लोग घायल हो गए. हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका क्षेत्र में सद्भावना मंडप में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुईं थी. ये घटनाएं जहां हुईं, वहां मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को एक जनसभा को संबोधित करना था, लेकिन प्रदर्शनों और बंद के आह्वान के मद्देनजर उन्होंने चुराचांदपुर जाने की अपनी योजना स्थगित कर दी थी.
संरक्षित वन क्षेत्रों से कुकी ग्रामीणों को हटाने के विरोध में स्थानीय आदिवासियों ने आठ घंटे के बंद का आह्वान किया था, जिसके कारण यहां जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ. सिंह ने हालांकि प्रदर्शन और बंद के आह्वान के कारण दौरे को टाल दिया था. प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को उस कार्यक्रम स्थल पर हमला किया था, जहां मुख्यमंत्री को आना था. प्रदर्शनकारियों ने स्थल पर लगभग 100 कुर्सियों और अन्य उपकरणों में आग लगा दी थी.