ISLAMABAD. पाकिस्तान के जिहादी समूहों का संगठन दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल (डीपीसी) कई साल निष्क्रिय रहने के बाद एक बार फिर सक्रिय हो गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संगठन की इस्लामाबाद के एक होटल में बैठक हुई है. इसका एकमात्र एजेंडा था राजनेताओं द्वारा राष्ट्र हित के खिलाफ रची जा रही साजिश को कैसे विफल किया जाए. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने बताया कि पाक-अफगान सीमा पर अमेरिकी सेना द्वारा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्याओं की प्रतिक्रिया में 2011 में डीपीसी की स्थापना की गई थी. हालांकि 2018 में इसके संस्थापक मौलाना समीउल हक की हत्या के बाद से यह निष्क्रिय था.
आपातकालीन बैठक के दौरान किसी विशेष राजनीतिक दल का नाम लिए बिना संगठन ने कथित रूप से वैश्विक शक्तियों के इशारे पर देश में राजनेताओं द्वारा अस्थिरता और अराजकता लाने की साजिश के बारे में बात की. डॉन ने बताया कि शनिवार की बैठक में जमात-उद-दावा और जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेताओं ने भाग नहीं लिया. बैठक को संबोधित करते हुए डीपीसी के अध्यक्ष मौलाना हमीदुल हक हक्कानी ने कहा कि वैश्विक ताकतें पाकिस्तान को कमजोर करने की साजिश कर रही हैं. हमीदुल हक संगठन के संस्थापक मौलाना समीउल हक का पुत्र हैं.
उसने कहा पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है, इसलिए दुश्मन हमारे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं. वे जानते हैं कि इस देश को ताकत के इस्तेमाल से नहीं हराया जा सकता. डीपीसी अध्यक्ष ने दावा किया कि देश में कलह पैदा करने के लिए दुश्मन मस्जिदों और इमामबारगाहों पर आत्मघाती हमले करना चाहता है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार किसी अन्य देश का नाम लिए बिना हक्कानी ने दावा किया कि अफगानिस्तान में छिपे दुश्मन अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान पर हमला करना चाहते हैं.
प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए भाषण में राजनेताओं की भारी आलोचना की गई. विशेष रूप से पाकिस्तान तहरीके इंसाफ और उसके नेता इमरान खान की. हालांकि उनका नाम नहीं लिया गया. सरकारी पीटीवी ने बैठक का प्रसारण भी किया, जिसमें प्रतिबंधित संगठन अहले सुन्नत वाल जमात के प्रमुख अहमद लुधियानवी का भाषण भी शामिल था. लुधियानवी ने कहा कि राजनीतिक मामलों का फैसला सड़कों की बजाय संसद में होना चाहिए. हम किसी भी अराजकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे.