JANJGIR. जांजगीर-चांपा जिले के खरौद में पदस्थ रहे रिश्वतखोर रेवेन्यू इंस्पेक्टर (राजस्व निरीक्षक) शिव ठाकुर के मामले में आखिरकार तीन साल से ज्यादा समय बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने निर्णय सुनाते हुए चार साल सश्रम कारावास के साथ ही 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. उसे एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने दिसंबर 20196 में 10 हजार रुपये की ही रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.
बता दें कि दिसंबर 2019 में शिवरीनारायण थाना क्षेत्र के भड़रिया पारा खरौद निवासी कोमल पांडेय पिता स्व. सेवाराम पांडेय को अपनी पैतृक जमीन खसरा नंबर 309 – 1 की 10 डिसमिल जमीन का सीमांकन कराना था. तब खरौद में पदस्थ आरआई शिव ठाकुर ने इसके एवज में कोमल से 10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की. इस पर कोमल ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में कर दी.
ऐसे आया था पकड़ में
इसका सत्यापन डिजीटल वाइस रिकाॅर्डर देकर करने को कहा गया. प्रार्थी कोमल ने आरआई के निवास में जाकर घूस लेनदेन की बात को रिकार्ड कर लिया और तीन हजार रुपये उसे दिया. जबकि सात हजार रुपये बाद में देने की बात हुई. इसके बाद नौ जनवरी 2020 को जांजगीर के लालू स्वीट्स में सात हजार रुपये आरआई को देते समय पहले से चौकन्ना एसीबी की टीम ने आरआई शिव ठाकुर को पकड़ लिया. उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया गया.
तीन साल बाद आया फैसला
आरोपी आरआई को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश कीर्ति लकड़ा के न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे 23 जनवरी तक न्यायारिक रिमांड में जेल भेज दिया गया था. एसीबी ने विवेचना के बाद आरआई के खिलाफ अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया. मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सुरेश जून ने आरोपी आरआई शिव ठाकुर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत 4 साल सश्रम कारावास की सजा और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है. जबकि अर्थदंड की रकम जमा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.