RIYADH.
मुसलमानों के लिए रोजा रखने, इबादत और आत्मनिरीक्षण का मौका लेकर आने वाला पवित्र महीना रमजान 22 मार्च से शुरू होने की उम्मीद है. यह अलग बात है कि इस्लामिक देश सऊदी अरब ने इस पवित्र महीने रमजान को लेकर एक गाइडलाइन जारी की है, जिनमें कई तरह की पाबंदियों और नियमों से जुड़े दिशा-निर्देश हैं. इस गाइडलाइन के मुताबिक मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है. मस्जिद के अंदर इफ्तार नहीं किया जा सकेगा, तो बिना आईडी के कोई एतकाफ भी नहीं होगा. सऊदी अरब के इस कड़े कदमों पर दुनिया भर के कई मुसलमानों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इन पाबंदियों के जरिये सामान्य जीवन में इस्लाम के प्रभाव को कम करना चाहते हैं. गौरतलब है कि क्राउन प्रिंस विजन 2030 पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत देश की रूढ़िवादी नीतियों को लगातार लचीला बनाया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री शेख डॉ अब्दुल लतीफ बिन अब्दुलअज़ीज़ अल-अलशेख ने रमजान के पवित्र महीने को लेकर 10 सूत्रीय दिशा-निर्देश दिए हैं. इन दिशा-निर्देशों का देश के सभी लोगों को पालन करना जरूरी होगा. इनमें लाउडस्पीकर्स पर रोक के साथ-साथ मस्जिद में इफ्तार पर पाबंदी भी शामिल है. यही नहीं, दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि इमामों की मस्जिद में उपस्थिति जरूरी है और इफ्तार के लिए चंदा भी नहीं लिया जा सकेगा. एतकाफ के लिए आईडी जरूरी कर दी गई है. साथ ही नमाजियों से कहा गया है कि वे बच्चों को भी मस्जिदों में न लाएं, क्योंकि इससे नमाजियों की इबादत में रुकावट पड़ेगी और उनका मकसद खत्म हो जाएगा. गौरतलब है कि एतकाफ एक इस्लामी प्रथा है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के अंतिम 10 दिनों में किसी मस्जिद में अल्लाह की इबादत के लिए खुद को इस फानी दुनिया से पूरी तरह से अलग कर लेते हैं.
ये है रमजान को लेकर जारी की गई 10 सूत्रीय गाइडलाइन
आदेश के अनुसार रमजान के पवित्र महीने में इमाम और मुअज्जिन मस्जिद से अनुपस्थित नहीं होने चाहिए. यदि बेहद जरूरी हो, तो उन्हें अनुपस्थिति की अवधि के लिए अपनी जगह काम करने वाले व्यक्ति को नियुक्त करना होगा. यही नहीं इसके लिए इसके लिए क्षेत्र में मंत्रालय की शाखा की रजामंदी लेनी जरूरी होगी. वह भी इस वचन के साथ किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होगा. अनुपस्थिति भी स्वीकार्य अवधि से अधिक नहीं होगी.
उम्म अल-कुरा कैलेंडर का पालन करते हुए रमज़ान में समय पर नमाज़ पढ़ी जाएगी. नमाज के समय का खास ख्याल रखने की बात भी कही गई है.
तरावीह की नमाज में लोगों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए रमजान के आखिरी 10 दिनों में तहज्जुद की नमाज को फज्र की अजान से पहले पूरा करना होगा ताकि नमाजियों कोई कठिनाई न हो.
कुनॉट में पैगंबर के मार्गदर्शन का पालन करते हुए तरावीह की नमाज़ और गैर-लम्बी दुआओं से बचना होगा. उन्हें जवामे दुआ और सहीह दुआओं तक सीमित रहना होगा.
मस्जिद में समूह के रूप में इस्लाम के लिहाज से उपयोगी पुस्तकों को पढ़ने का भी निर्देश है. हालांकि इसके लिए भी जारी सर्कुलर में दिए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा.
मस्जिदों में कैमरे लगाने, नमाज के दौरान इमाम और इबादत करने वालों की फोटो लेने के लिए उनका इस्तेमाल नहीं करने का भी निर्देश हैं. साथ ही हर तरह की नमाज को ब्रॉडकास्ट नहीं करने के संबंध में जारी निर्देशों का पालन करना.
इमाम एतकाफ को अधिकृत करने के लिए जिम्मेदार होगा. इमाम को यह सत्यापित करना होगा उनसे कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. एतकाफ के लिए गैर-सऊदी के लिए स्पांसर की मंजूरी का अनुरोध करना होगा.
इफ्तार के लिए किसी भी तरह का चंदा नहीं लिया जा सकेगा.
रोजेदार के लिए मस्जिद के भीतरी परिसर का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. हां, वे मस्जिद के आहते का इस्तेमाल इफ्तार के लिए कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी उन्हें इमाम से अनुमति लेनी होगी. इफ्तार इमाम और मुअज्जिन की जिम्मेदारी के तहत तैयार की गई जगहों पर होना चाहिए. इफ्तार खत्म करने के तुरंत बाद जगह की अच्छे से साफ-सफाई की जाएगी. कोई अस्थायी कमरे या टेंट न बनाएं और उनमें इफ्तार आयोजित नहीं करें.
रोजेदारों से अनुरोध किया जाता है कि वे बच्चों के साथ न लाएं, क्योंकि इससे इबादत में खलल पड़ेगी और एतकाफ का मकसद पूरा नहीं हो सकेगा.