NEW DELHI. सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है. इस त्योहार का हर एक दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जिनमें पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवे दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवे दिन मां कालरात्रि, आठवे दिन महागौरी और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा विशेष विधि-विधान के के साथ की जाती है. इस नवरात्रि को वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत दिनांक 22 मार्च से है और इसका समापन दिनांक 30 मार्च को है.
कई लोग तो इस त्योहार का संबंध भगवान राम के जन्म से भी जोड़ते हैं. जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं और अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र हैं. इसी दिन भगवान श्री राम के जन्म और उनसे जुड़े जगहों को सजाया जाता है. भक्त इन स्थानों पर आकर इनकी पूजा करते हैं.
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से नए साल की शुरुआत भी इसी महीने से होती है. वहीं तेलांगना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इस दिन का विशेष महत्व है, यहां इसे उगादी के रूप में मनाते हैं, जिसका मतलब है- ‘नई शुरुआत’. वहीं बात की जाए महाराष्ट्र और गोवा कि तो यहां इस त्योहार को ‘गुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाते हैं. दूसरी जगह इसे ‘चैत्र नवरात्रि’ के रूप में मनाया जाता है. नववर्ष के साथ-साथ ये त्योहार वसंत की शुरुआत का भी जश्न मनाता है . जो सर्दी के ठिठुरन से लोगों को राहत देने का काम करता है.
कई जगह लोग नए साल की शुरुआत नए कपड़े खरीदने से करते हैं. लोग अपने घरों को आम के पत्तों और फूलों से सजाते हैं और गाय के गोबर और पानी को मिलाकर घर में छिड़कते हैं और घर को पवित्र करते हैं, जिससे घर सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्णं हो जाता है. इसी के साथ भक्त अपने ईष्टदेव की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं, कि उनका नया साल उनकी जिंदगी में खुशियां लेकर आए.