NEW DELHI. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ सेवानिवृत्त और एक्टिविस्ट जज ‘भारत विरोधी’ भावनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं. इस तरह ये लोग न्यायपालिका को विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं. कॉलेजियम प्रणाली पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के दुस्साहस का परिणाम है. एक मीडिया हाउस की कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा, ‘ये सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से कुछ हैं… शायद तीन या चार. इनमें से कुछ एक्टिविस्ट जज भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं. ये लोग भारतीय न्यायपालिका को विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए कोशिश कर रहे हैं.’ दूसरी ओर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए कोलेजियम व्यवस्था का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखना है. सीजेआई ने कहा, ‘हर प्रणाली दोष मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है जिसे हमने विकसित किया है.’
किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका न्यायिक नियुक्तियों करने और उन्हें अंतिम रूप देने में कोई भूमिका नहीं निभाती है. उन्होंने विस्तार से कहा, ‘यह केवल बाद में कांग्रेस पार्टी के दुस्साहस के कारण सुप्रीम कोर्ट ने कार्य करना शुरू किया, जिसे कुछ लोग न्यायिक अतिक्रमण कहते हैं. फिर कॉलेजियम प्रणाली अस्तित्व में आई.’ उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली एक नई प्रणाली लागू होने तक लागू रहेगी. रिजिजू ने स्पष्ट किया कि हालांकि न्यायाधीशों को न्यायिक आदेश के माध्यम से नियुक्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह ‘विशुद्ध रूप से प्रशासनिक’ मसला है.
लंदन में राहुल गांधी के ‘भारतीय लोकतंत्र पर हमले’ वाले बयान पर अपना तीखा हमला जारी रखते हुए रिजिजू ने कहा कि जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोलता है, वह वही है जो चुप रहने का दावा करता है. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी देश और विदेश में मौजूद ‘भारत विरोधी’ गिरोह द्वारा बोली जाने वाली भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं. यह इको-सिस्टम बार-बार बयान देता है भारत में लोकतंत्र खतरे में है और मानवाधिकारों की अवहेलना की जा रही है.’ रिजिजू ने जोर देकर कहा, ‘हम इस ‘टुकड़े-टुकड़े गिरोह’ को देश की अखंडता, संप्रभुता को नष्ट करने की अनुमति नहीं देंगे.’
बीजेपी नेता ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में जवाबदेही पर दिल्ली में हाल ही में आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान चर्चा केवल इस बात पर केंद्रित थी कि केंद्र किस तरह से न्यायपालिका को नियंत्रित कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में सु्प्रीम कोर्ट रिटायर्ड जज और वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान और पूर्व सीजेआई और सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों के साथ उनके बेहतरीन संबंध हैं. उन्होंने दोहराया कि न्यायपालिका तटस्थ है. रिजिजू ने तर्क देते हुए कहा कि न्यायाधीश किसी विशेष समूह या राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं. रिजिजू ने इस विचार पर भी खुलेआम सवाल उठाया कि कुछ लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका सरकार पर नकेल कसे. आखिर इस प्रोपेगंडा का मकसद क्या है.