BHILAI. सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा आयोजित आदिवासी युवा विनियम कार्यक्रम के तहत युवाओं के जत्थे को अलग-अलग क्षेत्रों में लगातार रवाना किया जा रहा है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के लिए दसवां जत्था रवाना हुआ। 14वां आदिवासी युवा विनिमय कार्यक्रम के तहत 10 मार्च को जिला कांकेर के अति दुर्गम एवं नक्सल प्रभावित इलाके से युवक और युवतियों के दसवें जत्थे को रवाना किया गया। जत्था दुर्ग रेलवे स्टेशन से शिमला के लिए रवाना किया गया। इस जत्थे में 30 युवक-युवतियों सहित BSF के एक पुरुष सुरक्षा अधिकारी और दो महिला सुरक्षा अधिकारी भी शामिल है। यह जत्था शिमला में विभिन्न प्रांत के अन्य आदिवासी युवाओं से मिलकर अन्य राज्य की संस्कृति से रुबरु होगा।
BSF के अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें विविधता में एकता की अवधारणा की सराहना करने में सक्षम बनाना है। आदिवासी युवाओं को दूसरे स्टेट की औद्योगिक उन्नति और सामाजिक विकास की गतिविधियों से अवगत कराना है। साथ ही देश के दूसरे हिस्सों से आए अन्य आदिवासी युवाओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव विकसित करने में सहायता करना और उनके आत्म-सम्मान में बढोत्तरी करना है।
केंद्रीय युव कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के नेहरू युवा केन्द्र संगठन, नई दिल्ली और एवं गृह मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में 14वां आदिवासी युवा विनिमय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रत्येक आदिवासी युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम की अवधि सात दिनों की है। छत्तीसगढ के कांकेर जिले में पदस्थ BSF के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाके से इस वर्ष कुल 14 भ्रमण कार्यक्रमों के अतंर्गत 18 से 22 वर्ष के आयु वर्ग के दो सौ 90 सलेक्टेड युवा भाग ले रहे है। दसवें जत्थे को शिमला रवाना करते हुए BSF सीमांत मुख्यालय (विशेष सक्रिया) छत्तीसगढ़ के महानिरीक्षक इंदराज सिंह और इंटेलीजेस उप महानिरीक्षक दिनेश मुर्मू ने सराहना की।