सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के एम जोसेफ ने सोमवार को कहा कि वह ईसाई हैं लेकिन इसके बावजूद उनका हिंदू धर्म से लगाव है। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हिंदू धर्म महान है और इसे नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि कोई भी प्रणाली उस ऊंचाई तक नहीं पहुंची है जो हिंदू धर्म तक पहुंच गया है और जो उपनिषदों, वेदों और भगवद गीता में वर्णित है। आध्यात्मिक ज्ञान में हिंदू धर्म महान ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। हमें इस महान धर्म पर गर्व करना चाहिए न कि इसका अपमान करना चाहिए।
देश में प्राचीन, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थानों के “मूल” नामों को पुनर्स्थापित करने के लिए एक पुनर्नामकरण आयोग की स्थापना की मांग करने वाली एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए उन्होंने कहा कि बर्बर आक्रमणकारियों ने इन नामों को “बदल” दिया था। न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति बी.के. वी. नागरत्न भी शामिल हुए।
जस्टिस जोसफ ने कहा कि हमें अपनी महानता पर गर्व होना चाहिए, और हमारी महानता हमें उदार बनाती है। मैं इसे पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं। डॉ. एस. राधाकृष्णन की किताब आपको पढ़नी चाहिए। केरल में ऐसे कई राजा हैं, जिन्होंने गिरजाघरों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भूमि दान की।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और अतीत में नहीं फंस सकता। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि धार्मिक पूजा का सड़कों के नामकरण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मुगल बादशाह अकबर ने विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाने की कोशिश की।