BILASPUR. प्रदेश के अफसरों पर मनमानी इस कदर हावी है कि अब वे हाईकोर्ट तक की नहीं सुन रहे हैं और जिससे अवमानना यानी कोर्ट आफ कंटेम्प्ट के मामले भी बढ़ रहे हैं. लेकिन, इस बार हाईकोर्ट ने भी सख्ती दिखाई है और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव समेत राजस्व सचिव के खिलाफ 25-25 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया गया है.
मामला महासमुंद का है. दरअसल, स्टेशनपारा महासमुंद निवासी शंकरलाल सिन्हा डिप्टी कलेक्टर के पद पर हैं. पहले तहसीलदार पद पर रहने के दौरान उनके बैच के अन्य तहसीलदारों को साल 2016 में डिप्टी कलेक्टर के रूप में प्रमोशन दिया गया. लेकिन, शंकरलाल सिन्हा के खिलाफ एक विभागीय जांच लंबित होने के कारण उनका प्रमोशन रोक दिया गया. साल 2018 में सचिव, राजस्व विभाग द्वारा शंकरलाल को विभागीय जांच में पूर्ण रूप से दोषमुक्त किया गया.
तब उन्होंने साल 2016 से डिप्टी कलेक्टर पद पर वरिष्ठता के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की. इस पर हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर चार माह के भीतर उन्हें 2016 से डिप्टी कलेक्टर पद की सीनियारिटी के लिए प्रस्तुत अभ्यावेदन का नियमानुसार निराकरण करने का निर्देश जारी किया. लेकिन, तय अवधि में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ. ऐसे में शंकरलाल ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और घनश्याम शर्मा के जरिए दोनों अफसरों के खिलाफ कोर्ट आफ कंटेम्प्ट की याचिका दायर कर दी.
नोटिस के बाद फिर अवमानना, तब लिया एक्शन
इस मामले की सुनवाई के बाद 24 अगस्त 2022 को हाई कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी किया था. लेकिन सात फरवरी 2023 को मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने बताया कि अवमानना नोटिस जारी होने के छह माह बाद भी जवाब तक प्रस्तुत नहीं किया गया है. तब जाकर हाईकोर्ट ने सचिव सामान्य प्रशासन और सचिव राजस्व विभाग को 25 – 25 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया है.
24 मार्च को पेश नहीं तो बड़ी कार्रवाई तय
इस बार के नोटिस में कहा गया है कि 24 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी. इस दौरान सचिव सामान्य प्रशासन और सचिव राजस्व विभाग को आदेश का पालन संबंधी जानकारी के साथ जवाब पेश करना होगा. माना जा रहा है कि इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया तो अब और बड़ी कार्रवाई कोर्ट द्वारा किया जा सकता है.