BHILAI. दोस्तों काले जादू की कहानी के बाद हमें लगा कि सरकारी महकमे में कानाफूसी का अंत हो जाएगा। लेकिन अब तो एक के बाद एक उससे बड़ी और चौकाने वाली परतें खुल रही हैं। इस बार तीर अंदाज को एक बड़े अस्पताल में पदस्थ लंगोट के ढिले ड्राइवर और ईलू-ईलू करने वाले तिहाड़ी साहब की कहानी का पता चला है। लेकिन, इस जानने से पहले यह जान लीजिए कि इस कहानी को बताने में तीर अंदाज की या किसी और की कोई द्वेश भावना नहीं है। चूंकि, कहानी के पात्र अपने अनैतिक व व्यक्तिगत कर्मकाण्ड को सरकारी छतों के नीचे अंजाम दे रहे हैं, इसलिए उन्हें आइना दिखाना बनता है। आप भी कहानी के किरदारों की कलाबाजियों को जानिए और आइना दिखाइए।
तो रासलीला का बन गया एमएमएस
कहानी की शुरुआत हम बड़े अस्पताल में पदस्थ ड्राइवर से कर रहे हैं, क्योंकि इसका ताजा एमएमएस महकमे में ट्रेंड हो रहा है। हाल फिलहाल एमएमएस से संबंधित पूरा वाकया दब जरूर गया, लेकिन चर्चा आम है। कहानी ऐसी कि एक मनचले ड्राइवर अपनी ख्वाइशों को पूरा करने गर्लफ्रेंड लेकर ड्यूटी पर पहुंच गए, लेकिन उनको क्या पता कि उनकी प्रेम के अंगड़ाइयों की आहट रात के प्रहरी को सुनाई दे देगी। कमरे के एक कोने से उसे अंदर का नजारा भी दिखा जाएगा। भला हो रात के इस प्रहरी के ईमानदारी का, अपनी आंखों के सामने खटिया सरकाते देखे थर्ड पार्टी नहीं बना। मोबाइल के कैमरे से रासलीला का एमएमएस बनाया और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच वायरल कर दिया।
इस तरह यह एमएमएस ट्रेंड करते हुए जिले के सबसे बड़े अस्पताल के एक बड़े साहब के पास पहुंचा। दूसरे के थाली की कढ़ी खाने के आदि ये साहब अपना पुराना दिन याद करने लगें। कहावत है कि हमाम में सब…. हैं। उसका आचरण करते हुए इस साहब ने कई मोबाइल से रासलीला का चलचित्र डीलीट करवा कर कहानी को अपने तक ही खत्म करने की कोशिश की, लेकिन वॉयरल विडियो हर कर्मी के पास पहुंचा दी। ऐसे में सभी जहां-तहां इसी की चर्चा कर रहे हैं।
यहां भी सरकारी छत के नीचे ईलू-ईलू
दो महीने पहले की बात है जिले के दूसरे बड़े अस्पताल के ओटी टेक्नीसियन सहकर्मी की कलाई पकड़ने के कारण अपराधियों के हॉस्टल की सैर पर चले गए। इस मामले में चर्चा यह कि ओटी टैक्निशयन को हाथ तक पहुंचने की ढिल सहकर्मी ने ही दी थी। हवा में उड़ती पतंग को अच्छे मांझा से काटने दूसरे किरदार मिल गए तो पहले की डोर काट दी गई। इतना ही नहीं यहीं के एक दूसरे कर्मी व एक साथी को पुराने साहब तो रंगे हाथ व साथ पकड़ भी लिए थे। हर बार की तरह इस बार भी वह बेचारा सरकारी छत के नीचे चूड़ियों की खनखाहट का आनंद ले रथा था, साहब की दखल हो गई।.. अपनी खिसकती पैंट संभालने में परेशान रहने वाले इस साहब ने, तिहाड़ी डॉ. साहब की ही तरह कार्रवाई की बजाय जाम चढ़ाने का मामला बना, आंखों देखी विहंगम दृश्य पर पर्दा डाल दिया। लेकिन कहते है न कि ईश्क व मुश्क छिपाने से नहीं छुपते, इसमें भी वैसा ही हुआ। विभाग के 4 कर्मचारी जहां एकत्रित हो रहें, वहां इसी की चर्चा हो रही है।
लेकिन कहानी अभी बाकी है…