NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश दोहराई है। सिफारिश केंद्र को भेजी गई है, जबकि इससे पहले इसी मामले में केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई थी। दरअसल केंद्र को आशंका थी कि समलैंगिक अधिकारों के लिए उनके “लगाव” को देखते हुए, कृपाल के पूर्वाग्रह की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए वापस भेजा गया था।
मगर, कॉलेजियम ने केंद्र द्वारा उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में खुलेपन के आधार पर प्रस्ताव वापस भेजने पर असहमति जताई है। 18 जनवरी के एक प्रस्ताव में कृपाल के नाम को दोहराते हुए, CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ वाले कॉलेजियम ने कहा है कि सौरभ अपने ओरिएंटेशन के बारे में खुले हैं।
यह एक ऐसा मामला है, जिसका उनको श्रेय को जाता है। न्यायपालिका के लिए एक संभावित उम्मीदवार के रूप में, वह अपने ओरिएंटेशन के बारे में गुप्त नहीं रहे हैं। संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त अधिकारों को ध्यान में रखते हुए उस आधार पर उनकी उम्मीदवारी को खारिज करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित संवैधानिक सिद्धांतों के स्पष्ट रूप से विपरीत होगा।
पांच साल से लटका है उनका प्रस्ताव
गौरतलब है कि कृपाल को नियुक्त करने का प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से लंबित है। 13 अक्टूबर 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट के कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सिफारिश की थी और 11 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा मंजूरी दी गई थी।
कॉलेजियम ने कहा है कि कृपाल को यह सलाह दी गई थी कि वे उन कारणों के संबंध में प्रेस से बात न करें, जो कॉलेजियम की सिफारिशों पर पुनर्विचार के लिए वापस भेजे जा सकते हैं। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि कृपाल के पास योग्यता, सत्यनिष्ठा और बुद्धिमता है। उनकी नियुक्ति दिल्ली हाईकोर्ट में समावेश और विविधता प्रदान करेगी। उनका आचरण और व्यवहार बोर्ड से परे रहा है।