RAIPUR. आरक्षण कानून रद्द होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के बाद न्यायालय ने 58% आरक्षण को जारी रखने की अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया। मतलब ये कि 58 प्रतिशत आरक्षण को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी अपास्त कर दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का कांग्रेस सरकार के 76 प्रतिशत संशोधित आरक्षण से कोई लेना देना नहीं है। हालांकि ये 58 प्रतिशत आरक्षण मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी केवल 58 प्रतिशत की अंतरिम राहत को नामंजूर किया है। साथ ही अदालत ने सभी पक्षकारों को 4 मार्च तक लिखित जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई अब 22 मार्च को होगी।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 2011 में आरक्षण में संशोधन किया गया था। यह संशोधन 1994 के लोक सेवा में एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण अधिनियम में संशोधन से संबंधित था। उस समय सरकार ने एससी,एसटी, ओबीसी के लिए 58 प्रतिशत आरक्षण तय किया था। तत्कालीन राज्य सरकार के इस संशोधन को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद सितंबर 2022 में निर्णय दिया था।
हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को अपास्त करते हुए कहा था कि यह संविधान के खिलाफ है। 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। यह भी कहा गया था कि 58 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कोई विषम परिस्थिति नहीं है। बिलासपुर हाईकोर्ट के इस फैसले के लिए राज्य सरकार व अन्य लोग सुप्रीम कोर्ट में गए थे। इस मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में हुई है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से 58 प्रतिशत आरक्षण को बहाल रखने की बात कही गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया है।