NEW DELHI.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी कर रही हैं. माना जा रहा है कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद के 6 प्रतिशत से कम करने की कोशिश कर सकती हैं. 1 फरवरी को वह राजकोषीय घाटे के आंकड़े को देखने की कोशिश कर सकती हैं, जो कि सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत से बहुत कम है. कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित पिछले दो वित्तीय वर्षो में घाटा लगभग 10 प्रतिशत के स्तर को छू गया था. राजकोषीय घाटा किसी राष्ट्र की व्यापक आर्थिक स्थिरता का आकलन करने में मदद करता है, साथ ही मुद्रास्फीति को भी प्रभावित करता है. अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री 2023-24 के आगामी बजट में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 5.5 फीसदी और 6 फीसदी के आसपास रख सकती हैं.
अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति के बीच अर्थशास्त्रियों को लगता है कि सरकार के लिए राजकोषीय घाटे पर तटस्थ के पथ पर बने रहना एक चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि भारत को राजकोषीय समेकन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेज गति से विकास करना होगा. यह भी देखते हुए कि यह व्यय और राजस्व जुटाने पर तेजी से आगे बढ़े. सूत्रों ने कहा कि इसी तरह बजट में फोकस का एक अन्य क्षेत्र कर संग्रह होगा. चूंकि महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद व्यवसाय धीरे-धीरे वापस लौट रहे हैं, इसलिए प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह ने अच्छी वृद्धि दिखाई. यह नवंबर 2022 तक साल-दर-साल आधार पर 25 प्रतिशत बढ़कर 8.77 लाख करोड़ रुपये हो गया. अपनी ओर से अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आगामी बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है, सरकार कुछ करदाताओं के अनुकूल उपाय पेश कर सकती है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसे उपाय भी हो सकते हैं जो आर्थिक विकास सुनिश्चित करेंगे, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आर्थिक सुधार अभी शुरू हुआ है.