AMBIKAPUR. छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में जय—वीरू कहे जाने वाले सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सब कुछ सही चल रहा है इस पर बार—बार सवाल उठता रहा है। हाईकमान उन्हें विशेषकर सिंहदेव को पूर्णत: संतुष्ट कर चुका हो इस पर भी संदेह तब बढ़ जाता है जब उनका कोई नया बयान सामने आ जाता है। इस बार स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव के ताजा बयान ने प्रदेश की राजनीति में फिर भूचाल मचा दिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कह दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वे अपना भविष्य तय करेंगे। बात एक लाइन की है, लेकिन इसने कयासों के बाजार को फिर गर्म कर दिया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मेनस्ट्रीम राजनीति में कद बढ़ने से सालों पहले से ही टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाते रहे थे। लेकिन, जैसे ही भूपेश को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली उन्होंने अवसर को हाथों हाथ लिया। माना जाता है कि पार्टी के 15 साल के वनवास के बाद जिस तरह कांग्रेस ने कमबैक किया उसमें उनकी ही रणनीति कारगर साबित हुई। दूसरी ओर, सिंहदेव भी पीछे नहीं थे। पार्टी के 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जनघोषणापत्र तैयार करने से लेकर एक बड़े वर्ग, विशेषकर सरगुजा क्षेत्र को साधने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन, प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के एक बड़े तबके को साधने और तत्कालिक घटनाक्रमों जैसे जेल जाने, बिलासपुर में अरपा नदी के संरक्षण के लिए बरसते पानी में पदयात्रा में भूपेश के फ्रंटफुट में खेलने जैसी कवायदों ने सीएम का ताज उनके सिर पर सजा दिया। इस बीच चर्चा ये भी रही कि अंदरखाने पार्टी ने दोनों प्रमुख नेताओं के बीच सुलह कराया है कि वे ढाई—ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे। इसी के बाद से दोनों नेताओं के बीच कभी शीत युद्ध जैसी खबरें आती हैं तो कभी बयानों में ये बात सामने आती है कि दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

यहां कही ऐसी बात
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने सूरजपुर जिला मुख्यालय में सरगुजा आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक में शिरकत की। बैठक संपन्न होने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए वे सरकार और प्रदेश की राजनीति से जुड़े पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। तभी उनसे पूछा गया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहेगी। क्या कोई बड़ा निर्णय लेंगे? तब उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मैं अपना भविष्य तय करूंगा। बात तो एक लाइन में थी, लेकिन कई सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर वे कहना क्या चाहते हैं। अपना भविष्य तय करना यानी पार्टी छोड़ने, नई पार्टी बनाने जैसे कई सवाल हैं। सब कुछ सामान्य या महत्वाकांक्षा विहीन बात होती तो सभी साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कह सकते थे। इसीलिए अब ये चर्चा का विषय बन चुका है।
इन्हें फिर मिला मौका
इधर, विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं को एक बार फिर कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए मौका मिल गया है। वे पहले से ही इसे मुद्दा बनाते रहे हैं। अब एक बार फिर बयानों के तीर छोड़े जाएंगे और सिंहदेव को मोहरा बनाकर उन्हें पीड़ित बताया जाएगा और कांग्रेस आलाकमान पर सवाल खड़े किए जाएंगे।







































