BILASPUR. बिलासपुर-कटनी रेललाइन पर अंग्रेजों के जमान में भनवारटंक स्टेशन से आगे पहाड़ी को खोदकर बनाई गई सुरंग में दरार देखी गई है। इसके साथ ही रेलवे ने अलर्ट कर दिया है, जिसके बाद ट्रेनों को यहां से 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजारा जा रहा है। साथ ही इस पर इंजीनियरिंग विभाग की नजर है और मरम्मत की तैयारी शुरू कर दी गई है।
इस टनल को छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची सुरंग मानी गई है जो ऊंची पहाड़ियों और घने जंगल के बीच स्थित है। इसे भनवारटंक स्टेशन के करीब लगभग 115 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाया था। दरअसल इस रूट पर मैकल श्रेणी की पहाड़ियां व जंगल का हिस्सा पड़ता है। जगह—जगह कहीं ऊंची पहाड़ियां हैं तो कहीं गहरी खाई। आपको बता दें कि भनवारटंक स्टेशन से आगे पेंड्रारोड स्टेशन के पहले खोडरी स्टेशन है।

छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची सुरंग







इसी खोडरी और भनवारटंक स्टेशन के बीच पहले बेहद ऊंचाई पर बना पुल है जो कि लोगों को बरबस ही अचरज में डालता है। ठीक इसके बाद अंग्रेजों के जमाने की एक और इंजीनियरिंग का कमाल ये टनल बना हुआ है। इसे पहाड़ी को काटकर रेलवे लाइन को गुजारने के लिए तैयार किया गया था। इसमें उस समय के हिसाब से ईंटों की दीवार है और बाद में रोशनी के लिए यहां हैलोजन लाइट लगाई गई हैं। इन्हीं ईंटों की दीवारों में ये दरारें नजर आ रही हैं। इसके पीछे कारणों का भी अंदाजा लगाया जा रहा है। चूंकि पहले जो ट्रेनें इस रूट से गुजरती थीं उनकी बोगियों का आकार छोटा होता था। अब एलएचबी कोच आ गए हैं, जिससे कुछ कोच इन दीवारों से टकराती हैं।
करंट का भी है खतरा





























