KORBA. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अलग-अलग दो मामले सामने आए है। यहां तो अफसर भ्रष्टाचार के मामले में नप गए। दोनों पैसे डकार भी नहीं पाए थे और पहले ही सस्पेंड हो गए। कोरबा जिले के दो अलग-अलग डिपार्टमेंट में एक-एक आदेश जारी हुआ है। मगर दोनों में समानता ये कि दो बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई हुई है और दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।
एक मामला जनपद पंचायत के CEO के खिलाफ है, जहां जनपद पंचायत में तैनात CEO ने कोरोना काल में आए पैसे को खाने के मामले में कार्रवाई हुई है तो वहीं रेंजर ने बांस के पौधें लगाने बगैर ही पैसे हड़प लिए थे, जिस पर कार्रवाई की गाज गिरी है।
पहले आदेश के अंतर्गत जनपद पंचायत कोरबा के CEO जीके.मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया है। इस CEO पर कोरोना महमारी के दौरान एकल हस्ताक्षर के जरिए लाखों रुपए का आहरण करने और उसकी बंदरबाट करने का आरोप लगाया गया था।
गौरतलब है कि इस मामले की शिकायत प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री और रामपुर के विधायक ननकीराम कंवर ने की थी। इसके बाद पूरे मामले की जांच की गई। वहीं शुक्रवार को उप सचिव एम.रेसिया खेस्स की ओर से आदेश जारी किया गया, जिसमें उल्लेख है कि वर्ष 2019-20 में CEO जीके.मिश्रा पर जनपद पंचायत करतला में पदस्थापना के दौरान गड़बड़ियां की गई है।
इसमें कोरोना के लिए आए फंड के अलावा CC रोड निर्माण कार्यों, हाई स्कूल की दीवाल निर्माण आदि में वित्तीय गड़बड़ियां कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की पुष्टि हुई है। जांच उपरांत आरोप पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित किया जाता है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जीके.मिश्रा का मुख्यालय निलंबन अवधि में कार्यालय आयुक्त, आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास इंद्रावती भवन नया रायपुर होगा।
करोड़ों का हुआ हेरफेर
रेंजर मृत्युंजय शर्मा पर आरोप लगा था कि उन्होंने कटघोरा वनमंडल के बांकीमोंगरा वन परिक्षेत्र में प्रतिबंध अवधि होने के बाद भी बांस की कटाई करवाई थी। इसके साथ ही एक करोड़ 38 लाख रुपए मूल्य के पौधों का रोपण कराए बगैर ही फंड का बंदरबांट हुआ था। इस मामले में शिकायत के बाद जांच की गई। वहीं जब जांच की गई तो पता चला कि जितने पौधे लगाए गए वह 10 प्रतिशत से भी कम था।
तब शर्मा की नियुक्ति पाली क्षेत्र में डिप्टी रेंजर के पद पर थी। वहीं इसके बाद विभिन्न अनियमितताओं का पुलिंदा खुला और कुल चार करोड़ 51 लाख 40 हजार 54 रुपए के बताए कार्य में मौके पर दो करोड़ 63 लाख आठ हजार आठ सौ 57 रुपए का काम भौतिक सत्यापन में मिला। मतलब एक करोड़ 38 लाख से ज्यादा का भुगतान दिखाकर एक करोड़ 38 लाख रुपए की गड़बड़ी की गई थी। ऐसे में मुख्य वन संरक्षक के आदेश पर रेंजर मृत्युंजय शर्मा को निलंबन किया गया है।
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