KORBA. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से चार छात्र तब संकट में पड़ गए जब चारों झरने में सौर-सपाटा के बाद उसके स्त्रोत को जानने बढ़ गए। चारों झरने में घूमने के बाद उसके बहाव के विपरित बढ़ते गए ताकि उन्हें झरने का स्त्रोत मिल पाए। लेकिन रात हो गया और रास्ता भटक गए। फिर पुलिस की मदद से उन्हें अगले दिन रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया।
झरने का स्रोत की खोज में निकला चार दोस्तों का ग्रुुप रातभर पहाड़ में फंसे रहा। अंधेरा होने के बाद चारों पहाड़ में रास्ते को भूल गए। फिर टार्च की रोशनी का सहारा लेना पड़ा। डायल-112 की टीम देवदूत बनकर पहुंची और जैसे-तैसे मदद पहुंचायी गई।
कोरबा जिले के पिकनिक स्पॉट रानीझरना में चार दोस्तों की जिज्ञासा उन्हें मौत के मुंह में ढकेल दी। वे इस झरने का स्रोत पता करने के लिए पहाड़ पर चढ़ गए। अब चढ़ तो गए पर ऊपर जाकर फंस भी गए और नीचे उतरने का कहीं रास्ता नजर नहीं आया। इधर शाम होने लगी और मोबाइल की बैटरी भी खत्म होने लगी। गनीमत ये रही कि अंतिम समय में डायल 112 से संपर्क हो पाया और डायल 112 के जवानों ने देवदूत की तरह मदद पहुंचायी और युवकों को टॉर्च के सहारे उन्हें खोजा गया और फिर रेस्क्यू कर बाहर निकाला। शनिवार से फंसे चारों छात्र रविवार की सुबह घर लौट सके।
कोरबा के दर्री थाना क्षेत्र के प्रगतिनगर निवासी खिलन कुमार मांझी (21), समीत सिंह (24), श्याम कुमार (22) और 23 वर्षीय सन्नी कुमार पिकनिक मनाने के लिए रानीझरना पहुंचे। पहले तो छात्रों ने झरने के पास भ्रमण किया फिर इसके स्त्रोत की खोज में निकल गए। फिर क्या था, चारों दोस्त चट्टानों को पार करते हुए ऊपर चढ़ गए और आगे बढ़ते हुए पत्थरों के बीच काफी दूर निकल गए।
इस बीच उन्हें शाम होने का भी अंदाजा नहीं लगा। जब आभास हुआ तब तक वे पहाड़ी के ऊपर चट्टानों के नीचे फंस चुके थे। उन्हें वहां से बाहर सुरक्षित ठिकाने पर आने का कोई रास्ता ही नजर नहीं आया। पशोपेश में फंसे छात्रों के मोबाइल की बैटरी भी लगभग खत्म होने वाली थी। अंतिम विकल्प के रूप में उन्होंने डायल 112 को फोन किया। उन्होंने पूरी जानकारी दी और मदद की गुहार लगाई।
अब डायल 112 के समक्ष संकट था कि रेस्क्यू कैसे किया जाए, क्योंकि इसके लिए स्पेशलिस्ट की आवश्यकता होती है। तब उन्होंने सर्प मित्र की टीम से संपर्क किया, जिनमें से कई सदस्य इसमें एक्सपर्ट हैं। पूरी टीम रानीझरना पहुंची। लेकिन, तब तक युवकों का मोबाइल बंद हो चुका था। ऐसे में उनसे पूर्व में मिले लोकेशन और अंदाजे से रात के अंधेरे में टार्च की रोशनी में उनकी तलाश की जाती रही। अंत में वे उन्हें सुरक्षित मिल गए। जैसे-तैसे टीम उन्हें बाहर निकाल पाई। बाहर आते ही छात्रों ने राहत की सांस ली।
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