RAIPUR. छत्तीसगढ़ में कोसा-सिल्क की जब भी बात होती है तो पहला नाम जांजगीर-चांपा और दूसरा बस्तर का आता है। दिवाली पर महिलाओं की पहली पसंद यहां के कारीगरों द्वारा हाथों से बुनी हुई खूबसूरत साडिय़ां होती है।
जांजगीर-चांपा कोसा, कांसा, कंचन के नाम से विख्यात है। यही वजह है कि इन दिनों महिलाओं को हैंडलूम आइटम्स की डिमांड होती है। फैब्रिक से बने हुए दूसरे कपड़े से लोगों की पसंद में ये सबसे ज्यादा शामिल हो चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में हो रहा है काम
छत्तीसगढ़ में हैंडलूम को लेकर विशेष तरह का काम हो रहा है। यहां के कारीगरों का कहना है कि लोगों को अब हैंडलूम आइटम्स ज्यादा पसंद आते हैं। बात चाहे साड़ी की हो या फिर ड्रेस मैटेरियल। खासतौर पर महिलाएं हैंडलूम से जुड़े परिधान पहनना पसंद करती हैं। जांजगीर-चांपा का नाम कोसा के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। कई उत्पाद बाहरी अन्य राज्यों में भी जाते हैं, वहीं रायगढ़ और बस्तर के कई परिधान इम्पोर्ट किए जाते हैं।
लगते हैं मेले और प्रदर्शनी
दिल्ली में लोगों की डिमांड के कारण ही अब हैंडलूम प्रदर्शनी और सेल का आयोजन साल में 08 से 10 बार हो जाता है। यहां महाराष्ट्र, मप्र, गुजरात, असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों के परिधानों की झलक भी नजर आती है। यही वजह है कि सिल्क, मलबरी, कोसा, बाद्य प्रिंट और चंदेरी के साथ दूसरे पैटर्न के परिधानों की प्रदर्शनी बढ़ चुकी है।