BILASPUR. हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कोई भी बीमा कंपनी दुर्घटना बीमा के मामले में सिर्फ इसलिए किसी के बीमा दावे को खारिज नहीं कर सकती कि मामले में विलंब से एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को पीड़ित को भुगतान करने की बात कहते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दी है।
दरअसल, सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के डब्बाकोंटा निवासी नरसिंह मंडावी ने अपना दुर्घटना बीमा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से करवाया था। इसमें उन्होंने अपनी नामिनी पांच साल की बेटी चांदनी मंडावी को बनाया था। बीते दिनों सड़क हादसे में नरसिंह मंडावी की सड़क हादसे में मौत हो गई। चूंकि मौत हादसे में ही हुई थी, इसे साबित करने के लिए थाने में प्रथम पत्र सूचना यानी एफआईआर कराना जरूरी होता है। इस बीच घर का सारा भार मृतक नरसिंह की पत्नी गंगी मंडावी के कंधे पर आ गई।
काम की व्यस्तता के बीच और अन्य कारणों से इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई थी। बाद में नरसिंह के दस्तावेजों को देखते हुए बीमा पालिसी को लेकर उनका ध्यान गया। चूंकि नरसिंह की मौत सड़क हादसे में हुई थी, जिससे परिवार बीमा की राशि पाने का हकदार था। ऐसे में लगभग 32 दिनों बाद मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई। फिर चांदनी के नाम से बीमा दावा कंपनी को पेश किया गया।
ऐसे में बीमा कंपनी ने दावे काे अस्वीकार कर दिया। इस बीच गंगी मंडावी ने निचली अदालत में बीमा कंपनी के खिलाफ परिवाद दाखिल किया। कोर्ट ने गंगी के पक्ष में ही फैसला सुनाया और बीमा कंपनी को भुगतान करने का आदेश दिया। इस आदेश को बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में पेश किया। यहां जस्टिस पी. सेम कोशी की अदालत में मामले की सुनवाई की जा रही थी। अंतिम सुनवाई करते हुए उन्होंने फैसला सुनाया है।
इसमें न सिर्फ बीमा कंपनी की अपील को खारिज किया है, बल्कि महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी सिर्फ एफआईआर में देरी का हवाला देकर बीमा दावे का भुगतान करने से नहीं बच सकती। अब इस फैसले से न सिर्फ गंगी मंडावी को न्याय मिला है बल्कि अब दूसरे ऐसे मामलों के लिए यह न्याय दृष्टांत बन गया है।