तीरंदाज, भिलाई। सत्ता में आने के बाद दुर्ग जिले में भी कांग्रेस गुटों में बंटने लगी है। पहले सिर्फ भीतरी तौर पर गुटबाजी थी। लेकिन, तीन नेताओं के बीच की आपसी खींचतान अब सार्वजनिक हो गई है। ताजा मामला ब्लैकमेलिंग का है। मजे की बात ये है कि शिकायतकर्ता और पीड़ित दोनों ही भिलाई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं।

जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष सुभाष साव ने भिलाई निगम के पूर्व सभापति व वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह अरोरा और पूर्व पार्षद डॉ. दिवाकर भारती पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए सुपेला थाने में शिकायत कर दी है। वहीं इस शिकायत के सार्वजनिक होने के बाद पूर्व सभापति राजेंद्र सिंह अरोरा ने सुभाष साव को मानहानि का नोटिस भेज दिया है। दोनों नेता कांग्रेस से जुड़े हैं और इनकी सार्वजनिक लड़ाई से पार्टी की साख पर कालिख पुत गई है।
दरअसल मामला ये है कि पूर्व सभापति राजेंद्र सिंह अरोरा ने जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष सुभाष साव के दोनों होटल अमित इंटरनेशनल और होटल अमित पार्क व अमित लॉन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगा दी है। याचिका का आधार है, तय बिल्डिंग परमिशन से विरुद्ध निर्माण। दोनों होटल के बेसमेंट को पार्किंग के लिए आरक्षित किया गया था। लेकिन, वहां पर पार्टी हॉल और किचन आदि संचालित हैं। वहीं लॉन में नियम विरुद्ध तरीके से इवेंट आर्गनाइज हो रहे हैं। याचिका लगाए जाने के बाद दोनों नेताओं के बीच ठन गई।
जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष सुभाष साव ने सुपेला थाना में की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि पूर्व निगम सभापति राजेंद्र सिंह अरोरा ने पूर्व पार्षद डॉ. दिवाकर भारती के माध्यम से रुपयों की मांग की थी। रुपये न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका लगाने की धमकी दी थी। इस धमकी से घबराकर सुभाष साव ने राजेंद्र अरोरा के कहने पर बैकुंंठधाम के दुर्गा मंदिर के श्रद्धा पात्र में एक लिफाफे में भरकर एक लाख रुपये डाले थे।
एक लाख रुपये देने के बाद फिर से पांच लाख रुपये की मांग की गई। लेकिन, रुपये न मिलने पर याचिका लगाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। सुभाष साव ने इस शिकायत को अखबारों में भी छपवा दिया।
अखबार में इस शिकायत के आधार पर किरकिरी होने के बाद पूर्व सभापति राजेंद्र सिंह अरोरा ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी के माध्यम से सुभाष साव को मानहानि का नोटिस भेज दिया है। एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी न मांगने पर इस मामले को लेकर न्यायालय जाने की चेतावनी दी गई है।
हालांकि दोनों तरफ से हुई इस तरह की लड़ाई के बाद शहर का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। अभी तक दोनों में से किसी ने भी अपने कदम पीछे नहीं खींचे है। किसी वरिष्ठ नेता ने भी दोनों के बीच हस्तक्षेप नहीं किया है। इससे जिले व राज्य में कांग्रेस पार्टी की भी किरकिरी हो रही है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दोनों नेताओं के बीच की लड़ाई की शुरुआत क्यों हुई, यह स्पष्ट नहीं है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि पूर्व सभापति राजेंद्र सिंह अरोरा ने अचानक सुभाष साव के होटलों के निर्माण को नियम विरुद्ध बताते हुए मोर्चा खोल दिया? वहीं सुभाष साव ने ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए एक लाख रुपये देने की बात सार्वजनिक कर दी। अंदरखाने में चर्चा है कि दोनों नेताओं के बीच हाल में ही कुछ मनमुटाव हुआ। जिसके चलते ये लड़ाई धरातल पर आई है।
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