तीरंदाज, इंदौर। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंगपंचमी के रूप में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इंदौर की रंगपंचमी पूरे देश में प्रसिद्ध है, जब गेर निकालकर होरियारे हवा में अबीर-गुलाल उड़ाते हुए जुलूस निकलते हैं। इस साल रंग पंचमी 22 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि रंग पंचमी को राधा कृष्ण के पूजन किया जाता है और उन्हें अबीर और गुलाल लगाया जाता है। इससे कई तरह के दोषों और बाधाओं से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में प्यार बढ़ता है। इस दिन माता लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा भी की जाती है। इसीलिए रंग पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि रंग पंचमी के दिन अबीर और गुलाल आसमान में उड़ाया जाता है। ऐसा करके उस दिन ये गुलाल देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि रंग बिरंगे गुलाल की खूबसूरती देखकर देवता काफी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बरसती है। आसमान में उड़ाया गया गुलाल जब लोगों पर वापस गिरता है, तो इससे व्यक्ति की नकारात्मकता खत्म होती है और सात्विक गुणों में वृद्धि होती है।
राधा-कृष्ण की पूजन विधि
रंग पंचमी के दिन आप राधा कृष्ण या लक्ष्मी नारायण की तस्वीर को उत्तर दिशा में एक चौकी पर रखें। चौकी पर तांबे का कलश पानी भरकर रखें। रोली, चंदन, अक्षत, गुलाब के पुष्प, खीर, पंचामृत, गुड़ चना आदि का भोग लगाएं। भगवान को गुलाल अर्पित करें और आसन पर बैठकर ‘ॐ श्रीं श्रीये नमः’ मंत्र का जाप स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करें। पूजन के बाद आरती करें और क्षमा याचना करें और उनसे परिवार पर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें। कलश में रखे जल को घर के हर कोने में छिड़कें। कहते हैं कि इससे घर में बरकत होती है।