राजनांदगांव। खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को वोटिंग और 16 अप्रैल को मतगणना निर्धारित है। कांग्रेस, भाजपा, जोगी कांग्रेस सहित कई दल के प्रत्याशी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
4 नवंबर 2021 को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन हो जाने के बाद खैरागढ़ विधानसभा सीट खाली हो गई है। जहां उपचुनाव होना है। जीत किसी एक को ही मिलेगी, पर वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
इसलिए लोधी समाज बाहुल्य क्षेत्र में राजनांदगांव जिले की खैरागढ़ विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक मतदाताओं वाले लोधी समाज पर दांव लगाया है। कांग्रेसी जहां सरपंच से राजनीति शुरू करने वाली यशोदा वर्मा को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है, तो वहीं भाजपा ने पूर्व संसदीय सचिव कोमल जंघेल पर अपना भरोसा जताया है। जोगी कांग्रेस ने देवव्रत के बहनोई नरेंद्र सोनी को टिकट दिया है।
देखें तो कांग्रेस-भाजपा दोनों दल ने एक ही समाज से प्रत्याशी लिया है इसलिए खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में अब बाकी जातियों के मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि दूसरे समाज के मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते है।
ये है जातिगत स्थिति
एक रिपोर्ट अनुसार खैरागढ़ विधानसभा में लगभग 20 हजार साहू व 22 हजार के करीब आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग से पटेल, यादव और रजत को मिलाकर इनकी संख्या 30 हजार हो जाती है। इसलिए जातिगत समीकरण में यह भी महत्वपूर्ण रहेगा कि ओबीसी वर्ग क्या फैसला करता है। 12 से 15 हजार सतनामी मतदाताओं की संख्या बताई जा रही है। इसके अलावा अन्य मतदाताओं में खैरागढ़, छुईखदान इलाके में सामान्य वर्ग की भूमिका भी लोधी समाज के दिग्गज नेताओं के बीच महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस सीट पर 2008 में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो भाजपा के कोमल जंघेल को इस सीट से जीत हासिल हुई थी। 14 नवंबर 2008 को मतदान हुआ था। और 8 दिसंबर 2008 को नतीजे आए थे। 19544 वोटों से भारतीय जनता पार्टी के कोमल जंघेल ने जीत हासिल की थी। जंघेल को 62437 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के मोतीलाल जंघेल दूसरे नम्बर पर रहे जिन्हें 42893 वोट मिले थे। पोलिंग परसेंटेज की बात करें तो यह 76.51 प्रतिशत रहा। निरस्त मतों की संख्या 86 थी। 122847 वैध मत पड़े थे, जिनमें तीन टेंडर वोट थे।
2008 के खैरागढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कोमल जंघेल को 62207 सामान्य व 230 पोस्टल। इस प्रकार कुल 62437 वोट मिले थे। मतों का प्रतिशत 50.83 रहा। वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मोतीलाल जंघेल को 42893 सामान्य वोट और 83 पोस्टल। इस प्रकार 42893 वोट मिले थे। मतों का प्रतिशत 34.92 प्रतिशत था। महिला व पुरुष मतदाताओं को देखें तो 62457 पुरुष और 60049 महिला वोटर थे। कुल वोट 122933 पड़े।
खैरागढ़ उपचुनाव कई मायनों में खास रहने वाला है। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले देवव्रत सिंह कांग्रेस में थे उन्होंने विधायक से लेकर सांसद बनने तक का सफर कांग्रेस के साथ ही पूरा किया, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से मिल रही उपेक्षा के बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ज्वाइन करके हल चलाते किसान के चिन्ह के साथ चुनाव लड़ा था और वह चुनाव जीत गए। 2018 के चुनाव में जोगी कांग्रेस गठबंधन ने पूरे प्रदेश में 7 सीटें जीती थी।
उपचुनाव में दूसरे दलों पर भारी रहा है सत्ता पक्ष
खैरागढ़ उपचुनाव में न केवल वहां से नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशी लड़ेंगे बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। इसकी वजह भी बेहद स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हुए चित्रकूट, मरवाही और दंतेवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
माना जाता है कि जीत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में मिली है। खैरागढ़ से लगा हुआ कवर्धा भी डॉ. रमन सिंह का गृहनगर होने के नाते उनके प्रभाव वाला इलाका है, लिहाजा खैरागढ़ उपचुनाव को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच के प्रतिष्ठा के तौर पर देखा जाएगा।
(TNS)