तीरंदाज डेस्क। दुनिया के डेंटिस्टों द्वारा सुझाया और दुनियाभर का नंबर वन सेंसिटिविटी टूथपेस्ट बताने वाले सेंसोडाइन टूथपेस्ट कंपनी पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने 10 लाख का जुर्माना लगाया है। दरअसल कंपनी पर यह जुर्माना उनके द्वारा किए गए भ्रामक प्रचार को देखते हुए लगाया गया है। सीसीपीए ने सेंसोडाइन के विज्ञापनों पर खुद ही संज्ञान लेते हुए यह कार्रवाई की है।
सीसीपीए ने 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाने के साथ ही उसे इन विज्ञापनों को सात दिन के भीतर टीवी, ओटीटी, यूट्यूब, सोशल मीडिया आदि सभी माध्यमों से हटाने को भी कहा है। सीसीपीए द्वारा जारी सूचना में कहा गया कि सेंसोडाइन कंपनी अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए उपभोक्ताओं के समक्ष भ्रामक प्रचार किया। इससे पहले 9 फरवरी को भी सेंसोडाइन को विदेशी डेंटिस्टों से प्रचार करवा रहे विज्ञापन रोकने के लिए कहा गया था।
सीसीपीए प्रमुख निधि खरे ने बताया कि उन्होंने यह कार्रवाई सेंसोडाइन के उत्पादों पर स्वत: संज्ञान लेकर किया है। सेंसोडाइन कंपनी द्वारा इन विज्ञापनों के माध्यम से ब्रिटेन सहित दूसरे देशों के डेंटिस्टों ने सेंसोडाइन रैपिड रिलीफ और सेंसोडाइन फ्रेश जेल को दांतों की सेंसिटिविटी के लिए उपयोग करने सलाह दी है। सीसीपीए ने इनके तथ्यों को जांचा तो इनके भ्रामक प्रचार की बातें झूठी निकली।
सीसीपीएम की जांच में यह भी सामने आया कि सेंसोडाइन टूथपेस्ट दांतों की सेंसिविटी दूर करने में किसी भी प्रकार से कारगर नहीं है। इस मामले में कंपनी भी कोई पुख्ता अध्ययन या सामग्री नहीं दे पाई जिससे यह साबित हो कि वाकई सेंसोडाइन टूथपेस्ट दांतों की सेंसिविटी को खत्म करता या कम करता है। सेंसोडाइन ने विज्ञापन के माध्यम से यह भी दावा किया कि 60 सेकंड में आराम मिलता है।
सीसीपीए की ओर सेंसोडाइन के इस दावे की भी जांच की गई। विज्ञापन के माध्यम से कंपनी का दावा था कि उसके उत्पाद से 60 सेकंड में आराम की पुष्टि चिकित्सकों ने की है। सीसीपीए ने भारत के औषधि महानियंत्रक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को जांच के लिए कहा। संगठन ने कंपनी को कॉस्मेटिक लाइसेंस जारी करने वाले सिलवासा स्थित सहायक औषधि नियंत्रक से जांच शुरू करवाई जिसमें उनके दावों की पुष्टि नहीं हो रही है। इन तमाम कारणों से कंपनी पर 10 लाख रुपए का जुर्माना किया गया।