Tirandaj Desk। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग की वजह से कच्चे तेल के दाम 93 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गए थे। हालांकि, अब इसमें कुछ नरमी आ रही है और यह एक बार फिर से 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच रहा है। मगर, इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 85 फीसद तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में रूस के बाद अब ईरान ने तेल और गैस का व्यापार बढ़ाने के लिए भारत को एक खास पेशकश की है।
भारत में ईरान के राजदूत ने कहा कि ईरान ने तेल और गैस निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करके भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद की जा सकती है। इससे पहले रूसी कंपनियों ने भारत को बड़ी छूट के साथ कच्चा तेल खरीदने की पेशकश की है। ईरान के राजदूत ने उम्मीद जताई कि अगर दोनों देश रुपया-रियाल व्यापार फिर से शुरू करते हैं तो द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। रूस से छूट के साथ कच्चे तेल के बाद ईरान से यह प्रस्ताव मिलने के बाद भारत के लिए कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से छुटकारा मिल सकता है।
बताते चलें कि भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता ईरान था। मगर, जब अमेरिका ने ईरान से तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, तो भारत को ईरान से आयात रोकना पड़ा। एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की ओर से जारी एक बयान में ईरान के राजदूत ने कहा कि ईरान तेल और गैस के निर्यात के लिए रुपया-रियाल व्यापार शुरू करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।
रुपया-रियाल व्यापार प्रणाली दोनों देशों की कंपनियों को एक दूसरे के साथ सीधे व्यापार करने और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की लागत से बचा सकती है। खास बात यह है कि भारत और ईरान के बीच एक वस्तु विनिमय प्रकार की व्यापार समझौता प्रणाली थी, जहां भारतीय तेल कंपनियां स्थानीय ईरानी बैंक को रुपए में भुगतान कर रही थीं और इस पैसे का इस्तेमाल ईरान द्वारा भारत से आयात के भुगतान के लिए किया जा रहा था।
इस स्थिति की वजह से डॉलर के दाम में उतार-चढ़ाव की वजह से भारत और ईरान के व्यापार में कोई असर नहीं पड़ रहा था। इस वजह से सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने के मामले में ईरान आगे निकल गया था। मगर, बाद में अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत-ईरान व्यापार वित्त वर्ष 2019 में 17 अरब डॉलर से गिरकर चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जनवरी में दो अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है।
इसके अलावा ईरान ने कहा कि वह ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन परियोजना को पुनर्जीवित करने और भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने के लिए नई दिल्ली के साथ काम करने को तैयार है।
रूस दे रहा है 25 फीसदी छूट
बताते चलें कि रूस ने भी भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने की पेशकश की है। इस हफ्ते की शुरुआत में देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनर और मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल ने 30 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल के लिए अनुबंध किया था और दूसरी सबसे बड़ी बीपीसीएल ने भारी छूट वाली दरों पर 20 लाख बैरल की बुकिंग की थी। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि रूस भारत को 25 फीसदी तक की छूट दे रहा है।