तीरंदाज, भिलाई। स्वर कोकिला, भारत रत्न लता मंगेशकर अब हमारे बीच में नहीं हैं। रविवार को उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। निधन के बाद देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता रहा है। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा गांधी संगीत कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डी लिट की उपाधि दी गई थी।
जब बात लता मंगेशकर व छत्तीसगढ़ की हो रही है तो खैरागढ़ से जुडा उनका नाता कैसे भूल सकते हैं। करीब 42 साल पहले की बात है जब खैरागढ़ इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डी लिट की उपाधि दी गई थी। 2 फरवरी 1980 को यह सम्मान दिया गया था। देश और दुनिया में स्वर कोकिला के नाम से सुविख्यात लता मंगेशकर छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को कला और संगीत के एक गुरुकुल की तरह देखती थीं।
लता मंगेशकर 2 फरवरी 1980 को आयीं थीं। उन्हें इस विश्वविद्यालय से डी लिट की मानद उपाधि से विभूषित किया गया था। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति, प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर उन दिनों इस विश्वविद्यालय में शास्त्रीय संगीत (गायन) विषय से एमए की छात्रा थीं। उस प्रवास के दौरान आए अतिथियों को छात्र-छात्राओं ने भोजन परोसा था। भोजन परोसने वालों में ममता चंद्राकर भी शामिल थीं।
लता मंगेशकर को पसंद आई कढ़ी
ममता चंद्राकर ने बताया कि उन्होंने पहली बार लता मंगेशकर को सामने से देखा था। भोजन के समय लता मंगेशकर को कढ़ी परोसने का किस्सा ममता चंद्राकर ने सुनाया। ममता चंद्राकर ने बताया कि वह सभी मेहमानों को कढ़ी परोस रही थी। इस दौरान उन्हें इस बात का संकोच हो रहा था कि वह लता मंगेशकर को कढ़ी परोसें या नहीं। इसके बाद उन्होंने पहले उनसे पूछा तो लता मंगेशकर ने कहा हमें कढ़ी बहुत पसंद हैं। इसके बाद निःसंकोच ममता चंद्राकर ने लता मंगेशकर को कड़ी परोसी जो उन्हें काफी पसंद आई।
साक्षात सुनी उनकी आवाज
ममता चंद्राकर ने बताया कि भारत रत्न दिवंगत लता मंगेशकर जी का देहावसान देश और पूरी दुनिया के साथ इस विश्वविद्यालय के लिए भी गहरे शोक का विषय है। विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतरत्न लता जी हमेशा मेरी आदर्श रहीं। उनका इस दुनिया से जाना मेरे लिए व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है। जब वे डी लिट की उपाधी लेने आई थी एक गीत के कुछ शब्द सुनाएं। गीत के बोल थे मोंगरा फूले ला। पहली बार लता मंगेशकर को साक्षात सुनने का मौका मिला।