तीरंदाज डेस्क। रूस ने यूक्रेन के साथ जंग की शुरुआत कर दी है। भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह 9 बजे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की घोषणा की और इसके महज पांच मिनट बाद यूक्रेन में धमाके सुनाई दिए। इसके साथ ही चीन ने भी ताइवान को लगे हाथों धमकी देते हुए कहा है कि ताइवान यूक्रेन जैसा नहीं है, वह तो हमारा ही हिस्सा है।
ऐसे में ताइवान को डर सता रहा है कि जब अमेरिका और पश्चिमी देशों का पूरा ध्यान यूक्रेन संकट की ओर केंद्रित है, तो चीन स्थिति का फायदा उठाकर ताइवान के खिलाफ दुस्साहसिक कदम उठा सकता है। बताते चलें कि ताइवान पर चीन अपना दावा ठोंकता रहा है और इस इलाके को चीन का अविभाज्य हिस्सा बताता रहा है।
चीन ने कहा कि ताइवान हमेशा से चीन का अविभाज्य हिस्सा रहा है। यह एक निर्विवाद कानूनी और ऐतिहासिक तथ्य है। गौरतलब है कि चीन ने पिछले दो साल में ताइवान के आस पास अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
इधर, यूक्रेन संकट के बाद से ही ताइवान सरकार ज्यादा सतर्क हो गई है। उसने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के तहत यूक्रेन वर्किंग ग्रुप भी बना दिया है। बुधवार को इस वर्किंग ग्रुप की बैठक में ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा कि हमें क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को लेकर सतर्कता और निगरानी बढ़ा देनी चाहिए और दूसरे देशों द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं से निपटना चाहिए, हालांकि उन्होंने चीन का सीधे-सीधे नाम नहीं लिया।
बताते चलें कि रूस ने गुरुवार को यूक्रेन की 12 जगहों को निशाना बनाया। कीव में दो जगह बैलास्टिक मिसाइल से हमला किया गया। इसके साथ ही उन्होंने पूरी दुनिया को धमकी दी है कि अगर कोई रूस-यूक्रेन के बीच आया, तो उसे बहुत बुरा अंजाम भुगतना होगा।
उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन में स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन शुरू कर रहे हैं, जिसका मकसद डिमिलिटराइजेशन है। हमारा मकसद पूरे यूक्रेन को हथियाना नहीं है। पुतिन ने नाम लिए बगैर अमेरिका और नाटो को भी धमकी देते हुए कहा कि हमारे ऑपरेशन में दखल देने वालों को अंजाम भुगतना होगा।