कांकेर। अमर शहीद वीर गुण्डाधुर के 112वें बलिदान दिवस पर गुरुवार को आदिवासी समाज ने कांकेर जिला मुख्यलाय में बड़ी रैली का आयोजन किया है। समाज के नेताओं के मुताबिक इस रैली में शामिल 10 से 12 हजार की संख्या में आदिवासी भाई-बहन जिला मुख्यालय पहुंच गए हैं।
धुर नक्सल प्रभावित बेचाघाट में 65 दिनों से कैम्प और पुल के विरोध में बैठे ग्रामीण भी इस रैली में शामिल हो रहे हैं। आयोजकों के अनुसार भीड़ अभी और बढ़ने की संभावना है। अंचल के गांव- गांव से आदिवासी समाज के लोग ट्रकों में भरकर जिला मुख्यलाय पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने भी शहर में बड़ी भीड़ जुटने की संभावनाओं के चलते पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की है।
एक तरह से कांकेर शहर छावनी में तब्दील हुआ दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि धुर नक्सल प्रभावित बेचाघाट में 65 दिनों से कैम्प और पुल के विरोध में बैठे ग्रामीण भी इस रैली में शामिल होने वाले हैं, जिसको देखते हुए पुलिस एलर्ट मोड पर है। कुछ देर में जिला मुख्यालाय के बीच से यह रैली गुजरने वाली है।
बता दें कि गत दिनों कांकेर जिले के पखांजूर के मरोड़ा में स्टेट हाइवे-25 में हजारों की संख्या में आदिवासियों ने चक्काजाम किया था। आदिवासियों की मांग है कि बेचाघाट नदी में बनाए जा रहे पुल का काम बंद कराया जाए। पूरे क्षेत्र को सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने छावनी में तब्दील कर रखा है। 27 दिन से पुल और प्रस्तावित बीएसएफ कैंप के विरोध में आदिवासी बेचाघाट में अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे हैं।
पिछले साल भर से दक्षिण बस्तर के सिलगेर में कैम्प के विरोध में ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। अब उत्तर बस्तर में भी कैंप के विरोध में आदिवासी अनिश्चतकालीन विरोध में उतर गए हैं।
इसी क्रम में आदिवासियों ने कांकेर में बीएसएफ कैंप का विरोध किया। प्रदर्शन में शामिल दुखू राम नरेटी ने बताया कि सरकार यहां पुल बनाने वाली है। पुल बनने के बाद कैंप लगाया जाएगा। हम अपना जल, जंगल, जमीन बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। कांकेर में जल, जंगल, जमीन की लड़ाई काफी समय से चल रही है। यहां बिना ग्राम सभा के सरकार काम कर रही है।
प्रदर्शन में शामिल नवलू राम ध्रुव ने बताया बीएसएफ कैंप खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते हैं, बल्कि वे ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं। आदिवासी जवानों से खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
इसी साल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल माध्यम से 15 करोड़ 89 लाख 91 हजार की लागत से पुल निर्माण की घोषणा की थी। यह पुल बन जाने से कांकेर जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिला नारायणपुर भी जुड़ जाएगा और क्षेत्र के लोग नारायणपुर भी आवागमन कर सकेंगे। पुल निर्माण से 150 से अधिक गांवों के लोगों का आवगमन सुलभ होगा।
पिछले प्रदर्शन के दौरान कांकेर जिला पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा का कहना है कि पुल निर्माण का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। अभी तक कैंप स्थापित करने का आदेश नहीं आया है। ग्रामीणों से संवाद किया जा रहा है।
(TNS)