भिलाई। चौदह साल बाद भी कर्मचारी से अधिकारी बनने के बाद वेतन विसंगति का विवाद नहीं सुलझ पाया है। भिलाई स्टील प्लांट सहित सेल की सभी इकाइयों में 1600 अधिकारियों का दर्द एक बार फिर उन्हें सड़क की लड़ाई लड़ने मजबूर होना पड़ा है।
पदोन्नति के 14 साल इंतजार के बाद भी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। सालों से मांग करने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही। इसके खिलाफ अधिकारियों ने शुक्रवार को वॉक फॉर जस्टिस से विरोध दर्ज कराया। भिलाई स्टील प्लांट के अधिकारी पैदल ही कार्यस्थल तक पहुंचे। अब बीएसपी में आंदोलन को मूर्तरूप दिया जा रहा है। इधर बोकारो स्टील प्लांट, राउरकेला, दुर्गापुर, इस्को बर्नपुर आदि इकाइयों में शाम को विरोध प्रदर्शन किया गया। अगली कड़ी में एक मार्च को अधिकारी ब्लैक बैच डे मनाएंगे।
भिलाई स्टील प्लांट के करीब एक हजार अधिकारी तय कार्यक्रम के तहत विभिन्न चौक-चौराहों और सेंटरों पर रुके। वहां से पैदल मार्च निकाला गया। अधिकारी सुबह आठ बजे से ही बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के प्रगति भवन, बोरिया गेट, इस्पात भवन गेट, जेपी सीमेंट चौक, जवाहर उद्ययान आदि स्थानों पर पहुंचना शुरू हो गए थे। इसके बाद वहां से अपने-अपने कार्यस्थल के लिए पैदल रवाना हुए।
सेफी चेयरमैन एवं ओए अध्यक्ष नरेंद्र कुमार बंछोर, महासचिव परविंदर सिंह, कोषाध्यक्ष अंकुर मिश्र ओए भवन से पैदल मार्च करते हुए इस्पात भवन तक पहुंचे। मेन गेट पर पहुंचने के बाद अधिकारियों ने ताली बजाकर सांकेतिक विरोध दर्ज कराया। कुछ देर रुकने के बाद सभी मेन गेट से पैदल ही अपने कार्यस्थल तक जाते दिखे।
इसी तरह स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर का कहना है कि सेल अधिकारियों के हर दर्द में सेफी और ओए खड़ा है। सेल की इकाइयों के सभी अधिकारियों को साथ लेकर वेतन विसंगति को दूर कराने की लड़ाई जीती जाएगी। 2016 में भी वॉक फार जस्टिस किया गया था।
ओए महासचिव परविंदर सिंह का कहना है कि इस बार सबसे बड़ी बात यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने भी पूरा समर्थन किया है। वॉक फॉर जस्टिस में सीनियर अधिकारी शामिल हुए। सीनियर और जूनियर एक साथ एक मंच पर आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। यह बड़ी उपलब्धि है। आक्रोश जाहिर करने का अनोखा तरीका था। इसे भविष्य में भी जारी रखा जाएगा। बोकारो के 125 अधिकारियों के समर्थन में शाम को सीनियर-जूनियर उतरे।
2008 व 2010 बैच के जूनियर अधिकारियों का हर मंच पर दर्द छलक रहा है। पे-फिक्सेशन में हो रही देरी व अपने कनिष्ठ अधिकारियों से कम वेतन पर कार्य करने को बाध्य ये जूनियर अधिकारी विगत दस वर्षों में हुए आर्थिक नुकसान व मानसिक पीड़ा से जूझ रहे हैं। जूनियर अधिकारी 2022 की चयन प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू होने वाली है।
2008 व 2010 बैच के जूनियर अधिकारियों की मानसिक पीड़ा यह है कि वर्तमान में उनका वेतनमान यदि संशोधित नहीं किया गया तो जूनियर अधिकारी बैच 2018 एवं 2022 के उनके समकक्ष कार्मिकों से उनका वेतन कम रहेगा, जबकि वो पिछले 14 व 12 वर्षों से एक अधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 2007 से केवल 5 वर्षों के लिए ही 2008 एवं 2010 बैच का वेज रिवीजन हुआ था।
एक जनवरी 2012 से इन अधिकारियों को अगले 5 वर्ष के लिए किसी भी प्रकार का लाभ (एमजीबी) नहीं मिला है। जबकि उनके समकक्ष कर्मचारियों को एवं 2018 बैच के जूनियर अधिकारियों को 17 प्रतिशत एमजीबी का लाभ दिया गया है। जिसके कारण वेतन विसंगति उत्पन्न हो गई है।
जूनियर अधिकारियों ने बताया कि प्रबंधन के द्वारा किए जा रहे टालमटोल तथा प्रबंधन के द्वारा बनाए गये अनिर्णय की स्थिति से इन अधिकारियों इन अधिकारियों में अत्यंत रोष है।
(TNS)