भिलाई। कांग्रेस द्वारा नीरज पाल को महापौर प्रत्याशी के तौर पर घोषित करना वार्ड 65 की कांग्रेसी पार्षद सुभद्रा सिंह को रास नहीं आया। इसे लेकर उन्होंने काफी नाराजगी जताई। उन्होंने बगावत करते हुए महापौर पद के लिए नामांकन तक दाखिल कर दिया। बाद में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया, लेकिन उन्होंने जिला महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी। इस घटनाक्रम केे समय भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव, गिरीश देवांगन, भिलाई शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर आदि मौजूद थे।
कांग्रेस पार्षद सुभद्रा सिंह की नाराजगी इस बात लेकर थी कि भिलाई निगम में इस बार महापौर का पद अनारक्षित है। इसलिए उन्होंने अपनी ओर से पार्टी के आला नेताओं से इस बात पर जोर दिया था कि भिलाई निगम में महापौर सामान्य वर्ग का होना चाहिए। लेकिन आज जब निगम कार्यालय में महापौर व सभापति चयन की बारी आई तो महापौर व सभापित दोनों ही पद ओबीसी वर्ग को दे दिए गए। इस बात से नाराज कांग्रेस पार्षद सुभद्रा सिंह ने पहले तो महापौर के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। बाद में उन्होंने नामांकन वापस तो लिया, लेकिन उन्होंने पार्टी के सामने अपने जिला अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है।
इस मामले में जब सुभद्रा सिंह से संपर्क किया गया तो उनका दर्द छलक उठा। उन्होंने कहा कि इतने सालों से पार्टी सेवा करन के बाद भी सामान्य वर्ग की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद कांग्रेस को बहुमत मिला। हमने पार्टी के शीर्ष नेताओं के समक्ष यह मांग रखी थी कि भिलाई निगम में किसी भी सामान्य वर्ग के पार्षद को ही महापौर बनाया जाए। हमें आश्वासन दिया गया लेकिन ऐन मौके पर महापौर व सभापति दोनों पदों पर ओबीसी वर्ग को नेतृत्व दे दिया गया।
सुभद्रा सिंह का कहना है कि सामान्य वर्ग के प्रतिनिधियों को बहुत कम मौके मिलते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग की सीट पर भी वर्ग विशेष को तवज्जो दी जा रही है। सुभद्रा सिंह ने यहां तक कहा कि कांग्रेस पार्टी सामान्य वर्ग की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के सामने इस्तीफे की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी से जुड़कर समाज सेवा करूंगी।