पुणे। चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता और सैकड़ों अनाथ बच्चों की मां पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का मंगलवार रात दिल का दौरान पड़ने से निधन हो गया। 73 वर्षीया सिंधुताई सेप्टीसीमिया नामक बीमारी से पीड़ित थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिंधुताई के निधन पर शोक जताया।
बतादें कि वर्ष 2021 में उनको सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पद्मश्री सिंधुताई सपकाल ने अपना पूरा जीवन अनाथ बच्चों की सेवा में गुज़ार दिया। अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए कभी ट्रेनों में भीख तक मांगी। सिंधुताई के 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से ज्यादा दामाद हैं।
पद्मश्री सिंधुताई को बीते दिनों पुणे स्थित गैलेक्सी केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बतादें कि करीब डेढ़ महीने पहले वहां उनका हर्निया का ऑपरेशन हुआ था और वह तेजी से उबर नहीं पा रही थीं। चार जनवरी की रात करीब आठ बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
यूं छोड़नी पड़ी पढ़ाई
सिंधुताई ने बाल्यावस्था में भारी कठिनाइयों का सामना किया था। 14 नवंबर, 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में जन्मी सिंधु को चौथी के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। 12 साल की छोटी सी उम्र में ही उसकी शादी 32 साल के एक शख्स से कर दी गई थी। तीन बच्चों को जन्म देने के बाद, उसके पति ने गर्भवती होने पर भी उसे छोड़ दिया। उसकी अपनी मां और जिस गाँव में वह पली-बढ़ी थी, उसने मदद करने से इनकार कर दिया, जिससे उसे अपनी बेटियों की परवरिश करने के लिए भीख मांगनी पड़ी।
अनाथ बच्चों को लिया गोद
सिंधुताई सपकाल ने 40 वर्षों में एक हजार से अधिक अनाथों को गोद लिया। उन्हें पद्मश्री के अतिरिक्त 750 से अधिक पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। उसने पुरस्कार राशि का उपयोग अनाथों के लिए आश्रय बनाने के लिए किया।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक ट्वीट में कहा गया है कि बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा कि उनके निधन से महाराष्ट्र ने एक मां खो दी है।