रायपुर। रायपुर में धर्म संसद के बवाल के बीच आयोजकों ने बाबा कालीचरण के बयान से किनारा कर लिया है। मंगलवार को नीलकंठ सेवा संस्थान के फाउंडर नीलकंठ त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में धर्म संसद पर अपनी बात रखी।
संस्थान के फाउंडर त्रिपाठी ने कहा कि कालीचरण ने जिस भाषा का प्रयोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए किया, हम उसकी निंदा करते हैं। उन्होंने जो कुछ कहा इसमें हमारी गलती नहीं है। प्रशासन को हमने एक आवेदन दिया है, हम चाहते हैं कि इस मामले में उन पर कार्रवाई हो।
संतों से कहा गया था कि केवल सनातन धर्म पर बात रखें
त्रिपाठी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कार्यक्रम में सभी संतों से पहले ही कह दिया गया था कि मंच से सिर्फ सनातन धर्म पर बात करें, मगर कालीचरण ने राजनीतिक बात की। मैंने उन्हें टोका तो उन्होंने मंच से ही मुझे डांट दिया और कहा कि साइड हटो, बैठो। इसके बाद जो कुछ उन्होंने कहा वो उनके व्यक्तिगत विचार हैं। कांग्रेस और खुद सीएम बघेल ने आयोजकों पर कार्रवाई की बात कही है। इस पर त्रिपाठी ने कहा कि हम किसी मेहमान को बुलाया, वो कुछ गलत कर जाएं, तो हमारी गलती कैसे, मगर हम प्रशासन का पूरा सहयोग कर रहे हैं हर जानकारी दे रहे हैं।
उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया, फिर से होगी धर्म संसद
नीलकंठ त्रिपाठी ने कहा कि धर्म संसद के बाद प्रस्ताव लाए जाने थे, जिसमें युवाओं को धर्म से जोड़ने, सनातन संस्कृति का प्रचार करने जैसी बातें थीं, मगर इस विवाद की वजह से कार्यक्रम बिना किसी निष्कर्ष के खत्म हुआ। मगर हम पीछे नहीं हटेंगे, हम फिर से कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। फिर से संत आएंगे और समाज को धर्म और सनातन संस्कृति से जोड़कर दिशा देंगे। कार्यक्रम कब होगा हम जल्द ही तय करेंगे।
बिना बताए रात में ट्रेन से चले गए बाबा कालीचरण
नीलकंठ त्रिपाठी ने कहा कि कार्यक्रम में महात्मा गांधी के लिए अपशब्द उपयोग करने के बाद बाबा कालीचरण बिना कुछ बताए ही रात करीब साढ़े 8 बजे ट्रेन से लौट गए। वो कहां गए मैं नहीं जानता। मेरी उसके बाद उनसे कोई बातचीत नहीं हुई। कालीचरण 24 दिसंबर को रायपुर आए थे, 26 को हुए विवाद के बाद चले गए। हमने उनके गाने के वीडियो देखे थे। उससे युवा प्रेरित होंगे सोचकर बुलाया था।
(TNS)