भिलाई। मौसम का हाल बेहाल है। उत्तरी छत्तीसगढ़ के लोगों को कड़ाके की सर्दी और शीतलहर से तीसरे दिन भी राहत नहीं मिली है। आसमान में बादल छाए हुए है और निचले स्तर पर धुंध की परत बिछी हुई है। सूरज के दर्शन भी नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में मौसम का असर सीधे स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। ज्यादातर लोग सर्दी, खांसी, कान दर्द, पेट दर्द या फिर फिवर से पीड़ित नजर आ रहे हैं।
बुधवार से ठंडी हवा चलने से लोग कंपकंपा उठे हैं। दिन का तापमान भी काफी नीचे आ गया है। बता दें कि बारिश के बाद चल रही हाड़ कंपा देने वाली ठंडी हवा से जनजीवन प्रभावित हो गया है। स्वास्थ्य पर सीधे अटैक हो रहा है।
पिछले तीन-चार दिनों से पश्चिमी विक्षोभ के असर से पूरे छत्तीसगढ़ का मौसम पूरी तरह बदला हुआ है। आसमान में बादलों का डेरा है और लोग धूप के लिए तरस गए हैं। दिन और रात के तापमान में ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। यह शीत दिवस का संकेत दे रहा है।
ऐसे मौसम से शारीरिक परेशानियां बढ़ने लगी है। जब धूप नहीं मिलता तो खासकर ठंड के समय में शरीर पर सर्दी, खांसी, कान दर्द या फिर दमे की तकलीफ बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। मामले पर चिकित्सकों ने राय दी है। आप भी जानें..
स्वास्थ्य विभाग रायपुर-दुर्ग के संयुक्त संचालक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा अभी का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ी सावधानी बरतने का है। इस समय सबसे अधिक सर्दी-खांसी और दमा के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा देखने में आ रहा है छत्तीसगढ़ में तेज हवाएं चलने लगी है। पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। हवा में नमी बढ़ गई है। इस वजह खासकर दमा के मरीजों के साथ बीपी के मरीज भी तकलीफ में आ जाते हैं। ओपीडी में इन्हीं मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव
सबसे ज्यादा सावधान रहें दमा और बीपी के मरीज
डॉ. श्रीवास्तव की सलाह है कि मौसम को देखते हुए भीड़ वाली जगहों पर न जाएं। अभी शाम को कोहरा (fog) छा जाता है जो सुबह देर तक रहता है। ये मरीजों की परेशानी को बढ़ा देता है। ऐसे में दमा और बीपी के मरीजों को चाहिए कि वे मार्निंग वॉक में कोहरा छंटने के बाद ही जाएं। डॉ. श्रीवास्तव ने यह भी सलाह दी कि कोरोना के नए वैरिएंट से बचने के लिए नाक-कान ढंक कर रखें
ठंडी हवा बिगाड़ सकती है “टर्बिनेट” की सेहत
नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ. रतन तिवारी ने ऐसे मौसम में शरीर पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी है। उनका कहना है कि ठंड के दौरान जब बारिश होती है तब हवा में नमी की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। जब शरीर के अंदर ठंडी हवा जाती है उस दौरान नाक के अंदर वायुमार्ग की सतह में “टर्बिनेट” (Turbinate) नामक एक लम्बी बनावट होती है, जो नाक में जाने वाली हवा को गर्म और नम बनाती है। अधिक ठंड में अगर यह टर्बिनेट हवा को फिल्टर नहीं कर पाया, तो वे बड़े हो जाते हैं। उसके बाद ये नाक में जाने वाली हवा में रुकावट बनने लगते है। ऐसी स्थिति में सर्दी, खांसी या फिर कान में दर्द सहित अन्य तरह की परेशानियां उत्पन्न होने लगती है।
डॉ. रतन तिवारी
ढंक कर रखें नाक-कान-गला
डॉ. तिवारी ने कहा इसमें असावधानी बरती गई तो आगे नाक, कान व गले की तकलीफ बढ़ती जाती है। ऐसे में हमें सावधानी की जरूरत पड़ती है। खासकर बच्चों के साथ बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देना होता है। डॉ. रतन तिवारी ने सलाह दी है कि नहाते समय कान में तेल लगा कपास लगाएं, फंगस से बचने के लिए कान में पानी जाने से रोकें। कोशिश करें कि नाक और कान में ठंडी हवा को सीधे जाने से रोकें। गर्म चीजों का उपयोग करें।
पारा पहुंचा 2 डिग्री, जानिए कहां कितनी ठंड
शीतलहर ने राज्य के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया है। मौसम विभाग ने बताया कि सुरजपुर, जशपुर और कवर्धा में सर्दी के हालात ये हैं कि यहां बर्फ जमने लगी है। अंबिकापुर में तापमान 2 डिग्री पहुंच गया है। इसी तरह कोरिया में पारा 3.3 डिग्री, डूमर बहार में 4.4 डिग्री और एडब्ल्यूएस दुर्ग में 5.0 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन जिलों में पारा जबरदस्त गिर चुका है वहां और नहीं गिरेगा, लेकिन जहां पारा 8 डिग्री के आसपास है, वहां उसके और गिरने की संभावना है।
(TNS)