भिलाई। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में पाठ्यक्रमों के संदर्भ में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। इस मौके पर भिलाई के संस्कृतिविद् डॉ.महेशचन्द्र शर्मा विशेष रूप से शामल हुए। बैठक के दौरान उन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक के बाद डॉ.महेशचन्द्र शर्मा ने पीएचडी प्राप्त शोध छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।
इस दौरान डा.शर्मा ने शोध छात्रों से संवाद किया। वहीं संस्कृत के वेदशास्त्रों का महत्व बताया। डॉ शर्मा ने कहा कि संस्कृत के वेद-शास्त्रों और महाकाव्यों में वर्णित शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। संस्कृत के वेदशास्त्रों की शिक्षा रोजगार के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ ही लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। डॉ शर्मा ने इस दौरान छात्रों द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब भी दिए।
उल्लेखनीय है कि डा.शर्मा की दस आईएसबीएन पुस्तकें दिल्ली और रायपुर के शासकीय संस्थाओं से प्रकाशित है। इनमें भारतीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) नई दिल्ली, यूजीसी नई दिल्ली, भारती ऐतिहासिक अनुसन्धान परिषद् (आईसीएचआर) नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, रायपुर एवं छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामण्डल, छत्त्सगढ़ शासन रायपुर आदि प्रमुख हैं। पीएचडी और डीलिट शोधप्रबन्धों के बीच उनकी पुस्तकें काफी लोकप्रिय हैं। डा.शर्मा की इस पुस्तकों में उनके वर्षों के अनुभव उल्लेख मिलता है जिसका पाठकों को लाभ मिलता है।
पद्मश्री ममता चंद्राकर से की मुलाकाल
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय पहुंचे डॉ शर्मा ने यहां की कुलपति पद्मश्री डॉ ममता चंद्राकर से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने डॉ चंद्राकर को अपनी कुछ पुस्तकें भेंट की। इन पुस्तकों को उन्होंने विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों व अध्ययनरत छात्रों के उपयोग के लिए भेंट की। डॉ की शर्मा की कृतियों को देखकर कुलपति डॉ चंद्राकर ने उनकी मुक्तकंठ से सराहना की। साथ ही उन्होंने बताया कि यह पुस्तकें यहां अध्ययन कर रहे छात्रों के बहुत काम आएंगी। इस मौके पर संस्कृत विभागाध्यक्षा डा. मृदुला शुक्ल एवं संस्कृत प्राध्यापिका डा. पूर्णिमा केलकर आदि भी उपस्थित रहे।