रायपुर (Raipu)। आठ साल पहले बस्तर में हुए झीरम घाटी (Jhiramkand) नक्सली हमले (Naxalite attacks) की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने के बाद प्रदेश में सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस (Congress) जहां इसे मान्य प्रक्रियाओं का उल्लंघन बता रही है, तो वहीं भाजपा (BJP) ने न्याय पर भरोसा नहीं होने की बात कहते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है।
रविवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रेस कांफ्रेंस में झीरम नरसंहार के लिए गठित न्यायिक आयोग (judicial commission) द्वारा रिपोर्ट सरकार (Government) के बदले राज्यपाल (Governor) को सौंपे जाने को मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन (Violation) बताया है। कांग्रेस ने राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट अब तक सरकार को नहीं सौंपने पर सवाल उठाया है। सरकार से मांग की है कि न्यायिक जांच आयोग का फिर से गठन कर झीरम कांड की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए।
गठित आयोग सरकार को सौंपती है रिपोर्ट
मरकाम ने कहा कि जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग रिपोर्ट सरकार को सौंपती है। कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि झीरम कांड की व्यापक जांच के लिए वृहत न्यायिक जांच आयोग का गठन कर नए सिरे से जांच कराई जाए। मरकाम ने कहा कि नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं है।
रिपोर्ट में ऐसा क्या जिसे छिपाया जा रहा
जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल तीन महीने का था। आयोग को जांच में आठ साल कैसे लग गए। सरकार से कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गई। सवाल किया कि रिपोर्ट में ऐसा क्या है जो सरकार से छिपाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्ववर्ती सरकार व एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही
मरकाम ने कहा कि झीरम हमले में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं की एक पूरी पीढ़ी सहित 31 लोगों को खोया है। झीरम देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड था। कांग्रेस हमेशा ही इस नरसंहार के षड्यंत्र (conspiracy) की जांच की मांग करती रही है। इस पूरे मामले में पूर्ववर्ती सरकार की और एनआईए की भूमिका संदिग्ध रही है।
(TNS)