रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने अब ने एक अच्छा कदम उठाया है, जड़ी-बूटियों के साथ ही अब महुआ के बिस्किट और जैविक चावल की बिक्री वन विभाग के संजीवनी आउटलेट से करना शुरू कर दिया है। इससे जहां एक ओर लोगों को शुद्ध और गुणवत्तायुक्त उत्पाद मिल रहे हैं, वहीं इन्हें बनाने वाली महिला स्व-सहायता समूहों को आय भी प्राप्त हो रही है। वन विभाग के संजीवनी आउटलेट में महिला समूहों द्वारा उत्पादित हर्बल उत्पादों सहित 73 उत्पादों को बेचा जा रहा है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रबंध संचालक लघु वनोपज संघ के संजय शुक्ला ने कहा कि वन विभाग ने इसकी शुरुआत सबसे पहले रायपुर, दुर्ग, कोरबा, अंबिकापुर और जगदलपुर से की है। बाद में इन्हें प्रदेश के अन्य शहरों में भी शुरू किया जा सकता है। महुआ के फूल से बने बिस्किट जहां लोगों को नए उत्पाद होने के साथ ही अपने स्वाद के कारण ज्यादा पसंद आ रहे हैं, वहीं शुद्धता की वजह से शहद की मांग भी संजीवनी आउटलेट में अधिक हो रही है। शहद की 60 प्रतिशत बिक्री हो रही है।
वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि संजीवनी आउटलेट में महुआ महुआ बिस्किट के साथ ही जीरा बिस्किट, केशर पिस्ता, चोको चिप्स और कोटो कुटमी आदि के भी बिस्किट आउटलेट के माध्यम से बेचे जा रहे हैं। इसके अलावा वन विभाग जंगलों से निकलने वाली 160 प्रकार की जीवनदायी जड़ी बूटियों को भी बेच रहा है। दंतेवाड़ा के जैविक चावल, खड़ी उड़द दाल, लाल पोहा, हल्दी धनिया और आमचूर्ण सहित कई उपयोगी चीजें वहां मिल रही हैं।
रायपुर, दुर्ग, कवर्धा और महासमुंद में आउटलेट के साथ ही वन विभाग डीलरशिप भी दे रहा है, ताकि लोगों को आसानी से जैविक सामग्री मिल सके। प्रदेश में स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोठानों में बनाए जा रहे साबुन, फिनायल, बटर और नारियल बिस्किट को भी जल्द ही इन आउटलेट में बेचा जाएगा।
(TNS)