तीरंदाज, दुर्ग। स्मार्ट पुलिसिंग के लिए जाने जाने वाले सेवानिवृत्त डीएसपी प्रवीर चन्द्र तिवारी का रविवार सुबह रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे इसी साल जून में सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन अपराधों की विवेचना और आरोप पत्र तैयार करने में माहिर माने जाने वाले तिवारी के अनुभवों का लाभ पुलिस अभी भी उठा रही थी। शुक्रवार को वे रायपुर के माना स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षु डीएसपी की स्मार्ट पुलिसिंग पर क्लास लेने गए थे। बताया जाता है कि वहां से वापस आते समय उन्हें हार्ट अटैक आया था। इसके बाद से वे अस्पताल में भर्ती थे।
दुर्ग जिले में उप पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहे प्रवीर चन्द्र तिवारी 30 जून को सेवानिवृत्त हो गए थे। अपराध और अपराधियों की गहन विवेचना में उन्हें महारथ हासिल था। उनकी योग्यता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी दो पुस्तकों का प्रकाशन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था। एक किताब में उन्होंने चोरों और उनकी प्रवृत्ति पर गहन शोध किया था। उन्होंने 23 प्रकार के चोरों और उनके तरीकों की जानकारी दी थी। किताब के जरिए उन्होंने बताया था कि किस राज्य या क्षेत्र के चोरों की प्रवृत्ति कैसी होती है। उनका अपराध करने का तरीका कैसा होता है। घटनास्थल के मौका मुआयने के दौरान किन-किन बातों पर गौर करके यह पता लगाया जा सकता है कि वारदात को किस गिरोह या क्षेत्र के अपराधियों ने अंजाम दिया है। छोटे-छोटे सूत्रों से बड़ी जानकारी हासिल करने में प्रवीर चन्द्र तिवारी को माहिर माना जाता था। यही कारण है कि पुलिस उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनके अनुभवों का लाभ लाभ ले रही थी।
शुक्रवार को तिवारी माना स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षु डीएसपी को स्मार्ट पुलिसिंग के तरीके बताकर लौट रहे थे। इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया। इसके बाद उन्हें रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहां रविवार सुबह उनका निधन हो गया।
(TNS)