सिर्फ वकील बदलने से फैसले बदल जाएंगे—इस सोच पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कड़ा प्रहार किया है। सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी खारिज होने के बाद दोबारा हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करना एक सरकारी कर्मचारी को भारी पड़ गया। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया और याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट से मामला अंतिम रूप से निपट चुका हो, तब रिव्यू के नाम पर दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाना न केवल गलत है, बल्कि न्यायिक समय की बर्बादी भी है। Read More



























