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जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद एफआईआर और आरोप पत्र दाखिल होने तक पूरे मामले को गोपनीय रखा जाएगा। सीआरपीसी की धारा 164 ए 2005 के अधिनियम 25 के तहत जांच अधिकारी की यह जिम्मेदारी तय कर दी है। Read More