NEW DELHI. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2019 के एक आपराधिक मानहानि के मामले में गुरुवार को सूरत की जिला अदालत ने दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई. यह मामला 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक रैली में उनके विवादास्पद ‘मोदी उपनाम’ बयान से जुड़ा था. इस विवादास्पद बयान के आधार पर भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. दोषी पाए जाने और इसके लिए सजा की वजह से राहुल गांधी को शुक्रवार को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. इससे शुक्रवार को उनसे सांसद का दर्जा भी छिन गया. इस घटनाक्रम की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने भी कड़ी आलोचना की. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने इस कदम का स्वागत किया. बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी की अयोग्यता को ‘वैध और वाजिब’ करार दिया. इस क्रम में क्या आप जानते हैं कि यह पहली बार नहीं था, जब राहुल गांधी अपने खिलाफ मानहानि के मुकदमे के कारण मुसीबत में फंसे? वास्तव में केरल की वायनाड लोकसभा सीट से अब पूर्व सांसद राहुल गांधी छह बार पहले भी इसी तरह के आरोपों का सामना कर चुके हैं. इनमें से ज्यादातर आपराधिक मानहानि के मामले रहे.
ये रही राहुल गांधी पर लगे आपराधिक मानहानि मामलों की फेहरिस्त
‘मोदी सरनेम’ विवादास्पद बयान राहुल गांधी का सबसे हालिया आपराधिक मानहानि का मामला है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार जिले में एक रैली के दौरान बयान दिया, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इस टिप्पणी ने उस समय खासा विवाद खड़ा किया था और पूर्णेश मोदी समेत कई लोगों ने उन पर मानहानि और जातिगत पूर्वाग्रह का आरोप लगाया था.
उनके खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में एक और बहुचर्चित मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में दिसंबर 2015 में उन्हें अपनी मां सोनिया गांधी के साथ 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी.
6 जुलाई 2019 को राहुल गांधी को पटना की एक अदालत ने ऐसे ही मानहानि के एक अन्य मामले में जमानत दी. गांधी ने महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मेरा एक सवाल है. सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों है चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों? हम नहीं जानते कि ऐसे और कितने मोदी सामने आएंगे.’
12 जुलाई 2019 को राहुल गांधी को अहमदाबाद की एक अदालत ने मानहानि के मामले में जमानत दी थी. यह मामला अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक द्वारा दर्ज किया गया था, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि बैंक नोटबंदी के दौरान नोटों की अदला-बदली के एक घोटाले में शामिल था.
4 जुलाई 2019 को राहुल को मुंबई की एक अदालत ने आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा दायर मानहानि के मामले में जमानत दी थी. गौरी लंकेश की हत्या को ‘बीजेपी-आरएसएस विचारधारा’ से जोड़ने वाली उनकी टिप्पणी के लिए यह मामला दायर किया गया था. तब भी राहुल गांधी को 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई.
नवंबर 2016 में महाराष्ट्र की भिवंडी अदालत ने आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा दायर एक अन्य मामले में राहुल गांधी को जमानत दी. इस मामले में राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि आरएसएस ने महात्मा गांधी की हत्या की. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें इस तरह की ‘सामूहिक’ टिप्पणी के लिए फटकार लगाते हुए फैसला सुनाया था कि उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा और अदालत में अपनी बात साबित करनी होगी.
राहुल गांधी को सितंबर 2016 में 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर एक और मानहानि मामले में गुवाहाटी अदालत ने जमानत दी थी. राहुल के झूठ बोलने के बाद संघ कार्यकर्ता की ओर से आपराधिक मानहानि की मामला दर्ज किया गया था. दिसंबर 2015 में उन्होंने कहा था कि आरएसएस ने उन्हें असम के बारपेटा सतरा में प्रवेश करने से रोका था.