JAGDALPUR NEWS. बस्तर लगातार नक्सल मुक्त होने की दिशा में जा रहा है। इसी बीच तेलंगाना में नक्सल संगठन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। राजधानी हैदराबाद में 37 नक्सलियों ने तेलंगाना DGP के सामने आत्मसमर्पण किया है। सरेंडर करने वालों में प्रसिद्ध नक्सल नेता हिड़मा के करीबी सहयोगी एर्रा भी शामिल है। इसके अलावा सीसी मेंबर आजाद उर्फ अप्पासी नारायण ने भी आत्मसमर्पण किया है, जिसे सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है।

ये सभी नक्सली आंध्र-तेलंगाना बॉर्डर और दक्षिण बस्तर क्षेत्र में सक्रिय रहे थे और सुरक्षा बलों के लिए लंबे समय से चुनौती बने हुए थे। पुलिस का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। तेलंगाना पुलिस ने इसे नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसे कदम जारी रहेंगे।

सेफ जोन की तलाश में नक्सली
छत्तीसगढ़ से सटे आंध्र बॉर्डर से लेकर बस्तर इलाके में पुलिस का सर्च ऑपरेशन तेज होने के साथ ही बड़े लीडर के मारे जाने से नक्सल संगठन में खलबली मची हुई है। बचे हुए नक्सली अब सेफ जोन की तलाश में भटक रहे हैं। माना जा रहा है कि कुछ नक्सली सरेंडर करने या फिर मारे जाने के डर से छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती इलाके में भटक रहे हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित कनघुर्रा के जंगल में बुधवार को एमपी के बालाघाट जिले की पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हो गए।

इस मुठभेड़ के बाद स्पष्ट हो गया कि नक्सली अब उस क्षेत्र में आवाजाही कर रहे हैं जहां पर पुलिस की गतिविधियां पहले से कम हुई है। दरअसल कनघुर्रा इलाका पहले नक्सल जद में था। इस क्षेत्र में आईटीबीपी की एक कंपनी को तैनात किया गया था पर नक्सल गतिविधि कम होने पर कंपनी को हटाकर दूसरी जगह भेज दिया गया। यही कारण है कि बस्तर क्षेत्र में पुलिस के बढ़ते दबाव के डर से नक्सली इस ओर अपना बचाव करने के लिए भटकते हुए पहुंच गए।



































