BALODA BAZAR NEWS. बिलासपुर जिले में कथा वाचक आशुतोष चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद अब बलौदा बाजार पुलिस की एक और कार्रवाई ने सतनामी समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है। ग्राम गोरधा विकासखंड कसडोल निवासी समीर घृतलहरे को पुलिस ने 17 नवंबर 2025, सोमवार को बलौदाबाजार कांड (10 जून 2024) में संलिप्तता बताकर गिरफ्तार किया है जिसकी जानकारी परिजनों को दी गई।

समाज के लोगों का कहना है कि 17 महीने बाद की गई गिरफ्तारी कई सवाल खड़े करती है। समीर के समर्थकों का आरोप है कि सरकार और पुलिस बलौदाबाजार प्रकरण के नाम पर सतनामी समुदाय के लोगों पर लगातार दमनात्मक कार्रवाई कर रही है।

आंदोलनकारी रहा, तब आरोपी नहीं… अब अचानक गिरफ्तारी क्यों?
समीर घृतलहरे बलौदाबाजार कांड के बाद भीम आर्मी और सतनामी समाज की संयुक्त सामाजिक न्याय यात्रा में सक्रिय रहा।
जेल में बंद निर्दोष लोगों की रिहाई, महकोनी में जैतखाम काटे जाने की घटना और बलौदा बाजार आगजनी की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर वह लगातार आंदोलनों में शामिल रहा, लेकिन उस समय पुलिस ने उसे कभी आरोपी नहीं माना।

इसी दौरान एक मामले में थाने का घेराव करने पर उसे दो दिन के लिए बलौदा बाजार जेल भेजा गया था।
वर्तमान में भी वह प्रेम प्रसंग से जुड़े एक प्रकरण में डेढ़–दो महीने से जेल में बंद है, इसके बावजूद उसकी नई गिरफ्तारी पर परिवार और समाज दोनों हैरान हैं।
मुख्यमंत्री से आरोपियों की सूची सार्वजनिक करने की मांग
समाज के लोगों का कहना है कि यदि बलौदाबाजार कांड में अज्ञात आरोपियों की सूची है तो सरकार उसे सार्वजनिक करे, ताकि आंदोलन में शामिल निर्दोष कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर गिरफ्तार कर दमन न किया जा सके।

यह विवाद का साइड इफेक्ट—संजीत बर्मन
सामाजिक कार्यकर्ता संजीत बर्मन ने कहा है कि समीर घृतलहरे की गिरफ्तारी, बिलासपुर में ढोंगी कथा वाचक की गिरफ्तारी के बाद उपजे विवाद का सीधा साइड इफेक्ट प्रतीत होती है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से हस्तक्षेप की मांग की है।



































