PATNA NEWS. बिहार विधानसभा चुनाव में RJD की करारी हार के बाद लालू परिवार में गहरी कलह छिड़ गई है। लालू प्रसाद यादव की पुत्री और पूर्व लोकसभा प्रत्याशी रोहिणी आचार्य ने शनिवार को पार्टी छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया है। इस घटना के बाद बिहार की राजनीति में पूरा परिदृश्य बदल गया है।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरा कोई परिवार नहीं है, जिम्मेदारी नहीं लेनी है। चाणक्य (रमीज नेमत) से पूछिए, संजय यादव और तेजस्वी से पूछिए। सवाल पूछने पर गाली मिलेगी, चप्पल से पिटवाया जाएगा। रोहिणी ने तेजस्वी यादव पर परिवार से निकाल दिए जाने का आरोप भी लगाया। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट रूप से लिखा कि वे राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से रिश्ता खत्म कर रही हैं। आइए बताते हैं आपको कि लालू के परिवार के विलन बने संजय यादव और रमीज नेतम कौन हैं।

पहले जानिए रोहिणी क्यों अहम हैं
डॉक्टर से नेता बनी रोहिणी ने 2024 में सारण सीट से RJD के टिकट पर चुनाव लड़ा था। मगर, वह BJP के राजीव प्रताप रूड़ी से चुनाव हार गईं। चुनाव बाद उनकी परिवार और पार्टी से दूरी बढ़ती गई। कहा जा रहा है कि वह संभवतः सिंगापुर वापस लौट जाएंगी। चुनाव से पहले ही उन्होंने RJD, लालू यादव और तेजस्वी यादव को सोशल मीडिया से अनफॉलो कर दिया था।
रोहिणी की नाराजगी साल 2022 के किडनी डोनेशन विवाद से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने सार्वजनिक तौर पर असंतोष जाहिर किया था। तेजस्वी यादव के करीबी और राज्यसभा सांसद संजय यादव की बढ़ती भूमिका भी विवाद की जड़ मानी जा रही है। बिहार अधिकार यात्रा के दौरान RJD बस में तेजस्वी के पास संजय यादव के बैठने की एक तस्वीर पर भी रोहिणी ने असंतोष जताया था, जिसके बाद पार्टी में उनका विरोध बढ़ा।
तेज प्रताप ने भी किया विरोध
तेज प्रताप यादव की RJD से निष्कासन के बाद इस विवाद ने और तूल पकड़ा। तेज प्रताप ने रोहिणी का समर्थन करते हुए विरोधियों के खिलाफ कड़े संदेश दिए। बीजेपी ने इस विवाद का राजनीतिक फायदा उठाया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जिसने लालू यादव की जान बचाई, वे अब परिवार से दूर हैं। उनका आरोप है कि RJD परिवार भीतरघात और बिहार को नुकसान पहुंचाने वालों के प्रभाव में है।

अब जानिए कौन हैं रमीज नेमत
रोहिणी ने जिन ‘रमीज’ का नाम लिया है, वह यूपी का रहने वाला है। तेजस्वी यादव की टीम में मजबूत पकड़ रखता है। रमीज के ससुर रिजवान जहीर समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सांसद हैं। वह हत्या के एक मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं। रमीज और उनकी पत्नी जमानत पर हैं। पिछले दो साल से रमीज ने तेजस्वी की टीम में अपना दबदबा कायम किया है। यह इस बार के चुनाव में वॉर रूम की जिम्मेदारी भी वह संभाल रहे थे।
हत्या का आरोप लगा है नेमत पर
रमीज नेमत पर बलरामपुर की तुलसीपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन फिरोज ‘पप्पू’ की 4 जनवरी 2022 को गोली मारकर हत्या का गंभीर आरोप है। यह हत्या राजनीतिक विवाद की वजह से हुई मानी जाती है। आरोप है कि रमीज के ससुर और समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रिजवान जहीर अपनी बेटी जेबा रिजवान को तुलसीपुर का अध्यक्ष बनवाना चाहते थे।

रमीज और जेबा जमानत पर हैं बाहर
मगर, फिरोज पप्पू की पत्नी ने चुनाव जीत गई। इसके बाद रमीज ने पप्पू की हत्या कर दी। इस हत्या कांड के बाद पुलिस ने रिजवान जहीर, उसकी बेटी जेबा रिजवान और दामाद रमीज नेमत को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस वक्त रमीज नेमत और जेबा रिजवान जमानत पर बाहर हैं।
रमीज के खिलाफ बलरामपुर के तुलसीपुर और कौशाम्बी जिले के कोखराज थाने में हत्या, गैंगस्टर एक्ट समेत कुल 12 मुकदमे दर्ज हैं। रमीज नेमत ने क्रिकेट के जरिए तेजस्वी यादव से निकटता बनाई और पिछले दो वर्षों से बिहार की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की है।

अब जानिए कौन है संजय यादव
संजय यादव पार्टी के टिकट बांटने और आंतरिक फैसलों में जरूरत से ज्यादा दखल देते रहे हैं। लालू परिवार के अन्य कई सदस्यों ने भी संजय यादव पर यही आरोप लगाए हैं। तेज प्रताप यादव तो संजय को “जयचंद” तक कह चुके हैं। उन्होंने परिवार से दूरी के लिए संजय यादव को ही जिम्मेदार बताया था।
रोहिणी ने स्पष्ट किया है कि तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और उनके सहयोगी पार्टी के अहम फैसलों को प्रभावित करते हैं। संजय यादव की भूमिका पर सवाल उठते दिख रहे हैं, जबकि तेजस्वी यादव ने उन पर भरोसा जताया है। हालांकि, पार्टी के अंदर बढ़ते विरोध और आलोचनाओं ने उनके खिलाफ माहौल खड़ा कर दिया है।


































