ARARIA NEWS. अररिया जिले की छह विधानसभा सीटों पर नामांकन प्रक्रिया 20 सितंबर को पूरी हुई। 23 अक्टूबर को नाम वापसी के बाद चुनावी तस्वीर साफ हो जाएगी। निर्दलीय उम्मीदवारों के बागी रुख से एनडीए और महागठबंधन दोनों को नुकसान हो सकता है। कई नेताओं के टिकट कटने पर वे निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो रहा है और वोटों के समीकरण प्रभावित हो रहे हैं।
प्रमुख सीटों पर मुकाबला और नामांकन
नरपतगंज में टिकट न मिलने पर अनिल यादव समेत कई नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसका असर एनडीए और महागठबंधन के बीच के चुनावी समीकरण पर पड़ेगा। चार बार के विधायक जनार्दन यादव भी जन सुराज के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं।
मांझी की पार्टी “हम” की शक्ति परीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 11 नवंबर को 6 सीटों पर मतदान होगा, जिनमें मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 4 सीटें मिली हैं। राजद और कांग्रेस के हिस्से एक-एक सीट है। मांझी की पार्टी का मुख्य मुकाबला राजद से है, खासकर गया की इमामगंज, बाराचट्टी, टिकारी और अतरी सीटों पर।
प्रमुख उम्मीदवार और प्रतिस्पर्धा
- इमामगंज में मांझी की बहू दीपा मांझी का सामना राजद की ऋतु प्रिया चौधरी से है।
- बाराचट्टी में समधन ज्योति देवी को राजद की तनुश्री मांझी चुनौती दे रही हैं।
- अतरी में हम के रोमित कुमार के खिलाफ राजद की वैजयंती देवी चुनाव लड़ रही हैं।
- टिकारी से हम के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार का मुकाबला राजद के अजय दांगी से है।
- औरंगाबाद की कुटुंबा सीट पर कांग्रेस के राजेश राम के खिलाफ हम के ललन राम मैदान में हैं।
- सिकंदरा सीट पर राजद-कांग्रेस दोनों ने प्रत्याशी उतारे, हम के प्रफुल्ल कुमार मांझी का मुकाबला चल रहा है।
नजदीकी मुकाबले और चुनौती
पिछले चुनावों में मांझी की पार्टी ने इन जगहों पर संकरे मतों से जीत हासिल की थी; जीत का अंतर ढाई हजार से छह हजार मतों के बीच रहा। इस बार का चुनाव मांझी की ताकत की सटीक परीक्षा होगा, जहां जीत का अंतर कम होने के चलते मुकाबला और कड़ा माना जा रहा है।
इस दूसरे चरण के परिणाम बिहार के राजनीतिक नक्शे को नया रूप दे सकते हैं, खासकर अररिया क्षेत्र में मांझी और राजद के बीच की जंग महत्वपूर्ण बनी हुई है।