MUNGELI NEWS. जल संसाधन विभाग, मुंगेली के अंतर्गत संचालित केंट मेंट एरिया डेवलपमेंट योजना एक बार फिर विवादों में है। लगभग 45 करोड़ रुपये की यह परियोजना वर्ष 2021 में शुरू हुई थी, लेकिन चार साल बाद भी इसका काम अधूरा है।
स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों के अनुसार, विभागीय अधिकारी बिना साइट निरीक्षण के ठेकेदारों से काम ले रहे हैं। कार्य की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा, और अधिकांश कार्य अधूरे पड़े हैं।
हैरानी की बात यह है कि संबंधित ठेकेदारों को अब तक 50 प्रतिशत राशि का भुगतान पहले ही कर दिया गया है। इस योजना के तहत सिंचाई तंत्र को सुदृढ़ करने, जल संरक्षण बढ़ाने और नहरों की मरम्मत का काम किया जाना था, लेकिन जमीनी हालात बताते हैं कि यह परियोजना कागजों में ही सीमित रह गई है।
लोरमी जल संसाधन विभाग के एसडीओ ने कहा कि यह प्रोजेक्ट 2021 में शुरू हुआ था और अब भी जारी है। कुछ जगहों पर समस्याएं आई हैं, जिन्हें ठेकेदार से सुधार कराने के लिए कहा गया है। उन्हें काम करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है।
दरअसल, लोरमी क्षेत्र के राजीव गांधी जलाशय (खुड़िया) से निकलने वाली नहरों डी-1, डी-2 और डी-3 में करोड़ों रुपये की लागत से अंडरग्राउंड पाइपलाइन बिछाई गई है। इस योजना का उद्देश्य किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाना था। पाइपलाइन के साथ चेंबर भी बनाए गए, लेकिन किसानों का कहना है कि पानी की आपूर्ति अभी तक नहीं हो रही है।
किसानों ने बताया कि कुछ जगहों पर पानी चेंबरों से निकलकर खेतों में नहीं पहुंच रहा, उल्टा बह रहा है। उनका आरोप है कि विभाग ने ठेकेदार को करोड़ों रुपये का भुगतान तो कर दिया, लेकिन काम की गुणवत्ता की जांच नहीं की। स्थानीय किसान इसे शोपीस परियोजना बताते हैं, जिसका फायदा केवल विभाग और ठेकेदार उठा रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि पाइपलाइन कार्य में कई अनियमितताएं हैं। घटिया पाइप, कमजोर जोड़ और अधूरे चेंबर के कारण पानी का प्रवाह बाधित हो गया है। कई स्थानों पर पाइपलाइन बिछाने के बाद उसकी जांच तक नहीं की गई।
इस पूरे मामले में जल संसाधन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि शासन इस परियोजना की उच्च स्तरीय जांच कराए, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई हो सके।