INDORE NEWS. हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व सबसे पावन और शुभ माना गया है। यह उत्सव हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीपों का यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया है।
देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, श्रीराम दरबार और धन के देवता कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है। इस मौके पर भक्त अपने घर में दीप प्रज्वलित कर उसे प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि लक्ष्मी पूजन के समय कमलगट्टे की माला से मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
इस दौरान ‘ओम श्रीं ह्रीं श्री कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद ओम श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है।
शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजन
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि इस वर्ष दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। यह कुल 1 घंटा 11 मिनट का काल सबसे शुभ माना गया है। इसी समय परिवार सहित लक्ष्मी पूजन, दीपदान और आरती करने से घर में धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
कार्तिक अमावस्या की तिथि और महत्व
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल यानी शाम का समय 20 अक्टूबर को ही अमावस्या में शामिल है। लिहाजा, इस साल दीपावली का उत्सव 20 अक्टूबर की शाम को मनाया जाएगा।
श्री महालक्ष्मी पूजन
प्रातः – 09:19 से 10:45 तक
मध्याह्न -11:49 से 12:34 तक (अभिजित मुहूर्त)
मध्याह्न-01.38 से 03.03 तक
सायंकाल-03.04 से रात्रि 04.30 तक
सायंकाल-04.30 से रात्रि 05:56 तक
(शुभ,अमृत,चर चौघडिया अनुसार)
प्रदोषकाल- 05:56 से 08:27 तक
सर्वश्रेष्ठ (स्थिर लग्न)अनुसार लक्ष्मी पूजन समय
वृषभ लग्न – सायंकाल- 07:23 से 09:21तक
लाभ मुहूर्त:- रात्री 10:38 से 12:12
सिंह लग्न – रात्री 01:51 से 04:02 तक
पंचदिवसीय उत्सव का हिस्सा
दीपावली केवल एक दिन का त्योहार नहीं बल्कि कार्तिक मास का पंचदिवसीय पर्व है, जो धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चलता है। इन दिनों में नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा और भाई-दूज जैसे धार्मिक पर्व भी शामिल हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह घर-परिवार को एकता और सौहार्द के बंधन में जोड़ता है।