DELHI NEWS. सोने की कीमतें भले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हों। मगर, उपभोक्ताओं की खरीदारी का उत्साह कम नहीं हुआ है। इस वर्ष धनतेरस पर खरीदारी ने नए आर्थिक मानक स्थापित किए हैं। धनतेरस पर सोने की कीमतें एक लाख 30 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच हैं। मगर, इसके बावजूद ज्वैलरी खरीदारी में जबरदस्त भीड़ रही और उपभोक्ताओं ने रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए।
सोना-चांदी की बिक्री इस बार कुल बिक्री का 60 हजार करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल से 25 प्रतिशत अधिक है। यह जानकारी प्रमुख व्यापारी संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से शनिवार को दी गई है। कैट के आभूषण खंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि पिछले दो दिनों में आभूषण बाजारों में अभूतपूर्व भीड़ देखी गई है। दिल्ली के सर्राफा बाजारों में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री हुई है।
सोने चांदी की होती की खरीदारी
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि से दिवाली उत्सव की शुरुआत भी होती है। इस दिन मनाया जाने वाला धनतेरस का त्योहार सोने, चांदी, बर्तनों और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस बार चांदी की कीमतें भी पिछले साल के 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम से लगभग 55 प्रतिशत बढ़कर 1,80,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं, फिर भी मांग बनी रही।
महंगाई से बचाव का साधन है सोना
बताते चलें कि आज शनिवार 18 अक्टूबर को सोने के दाम बढ़े हैं। सोना आम तौर पर महंगाई से बचाव का एक अच्छा साधन माना जाता है।
इनमें से 24 कैरेट सोना सबसे महंगा होता है और इसे ज्यादातर निवेश के लिए खरीदा जाता है। वहीं, 22 कैरेट और 18 कैरेट सोने का उपयोग ज्यादातर गहने बनाने में किया जाता है।
सोने के दाम प्रति ग्राम
24 कैरेट सोना ₹13,278 प्रति ग्राम
22 कैरेट सोना ₹12,171 प्रति ग्राम
18 कैरेट सोना ₹9,959 प्रति ग्राम
बर्तनों और रसोई के उपकरण भी खूब बिके
व्यापारिक आंकड़ों के अनुसार, सर्राफा बाजारों के अलावा धनतेरस के दिन बर्तनों और रसोई उपकरणों की भी जमकर बिक्री हुई। इस बार 15,000 करोड़ रुपये, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं बिजली के सामानों से 10,000 करोड़ रुपये, सजावटी और धार्मिक वस्तुओं की करीब 3,000 करोड़ रुपये की बिक्री हुई।
कैट के महासचिव और भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने ग्राहकों की बढ़ती खरीदारी में वस्तु एवं सेवा कर दरों में कमी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की नीतियों को मुख्य कारण बताया। उनका कहना है कि उपभोक्ता अब भारतीय उत्पादों को अधिक पसंद कर रहे हैं। इससे छोटे व्यवसायियों, कारीगरों और निर्माताओं को फायदा हो रहा है।