MUNGELI NEWS. छत्तीसगढ़ का मुंगेली जिला इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। पहले जहां शराबप्रेमी कोचियों के जरिए बाजार से अधिक दामों में शराब खरीदने को मजबूर थे, अब सरकारी शराब दुकानों में भी तय दर से अधिक दाम वसूलने की शिकायतें सामने आ रही हैं। स्थिति यह है कि अब सरकारी दुकानों पर भी शराब प्रेमियों को ओवररेट में शराब खरीदनी पड़ रही है। मामला मुंगेली जिले की रेहुंटा स्थित देशी मदिरा दुकान का है। यहां राजदीप इंटरप्राइजेज लिमिटेड कंपनी के मैनपावर कोऑर्डिनेटर भूपेश कुमार और फील्ड ऑफिसर ललित जांगड़ा ने खरीदारी के दौरान पाया कि दुकान में तैनात सेल्समैन भानु गोस्वामी ने शासन द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक दाम में शराब बेची।
जानकारी के अनुसार घटना 8 अक्टूबर 2025 शाम 6:20 बजे की है। खरीदी के दौरान ग्राहक से 80 रुपये प्रति पाव की जगह 82 रुपये प्रति पाव वसूले गए। कुल 12 पाव की खरीदी पर ग्राहक से 980 रुपये लिए गए, जबकि निर्धारित कीमत 960 रुपये थी। सीसीटीवी फुटेज में यह पूरी घटना रिकॉर्ड हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक सेल्समैन भानु गोस्वामी ने अपने द्वारा अधिक राशि वसूलने की बात भी स्वीकार कर ली है।
इसके बावजूद भी आबकारी विभाग मुंगेली द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि आबकारी विभाग को इस ओवररेट बिक्री की पूरी जानकारी है, लेकिन कार्रवाई से विभाग के अधिकारी बचते नजर आ रहे हैं। विभाग पर मिलीभगत और कमीशन खेल के आरोप भी लग रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक दुकान का मामला नहीं, बल्कि जिलेभर में शराब दुकानों पर तय दर से अधिक राशि वसूले जाने की प्रवृत्ति आम हो चुकी है।
लोगों का आरोप है कि विभाग स्वयं इन दुकानों से अवैध वसूली करवाता है और इस अवैध कमाई की जड़ ऊपर तक फैली हुई है। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो सरकारी शराब दुकानें और कोचियों में फर्क खत्म हो जाएगा। मुंगेली का आबकारी विभाग अपनी छवि सुधारने की बजाय आरोपों के घेरे में आता जा रहा है।
कार्यवाही विभाग की डिक्शनरी से गायब
शराब दुकानों पर ओवररेट बिक्री को लेकर स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि तय दर से अधिक दाम में शराब बेची जाती है तो संबंधित सेल्समैन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर उसकी नौकरी समाप्त कर उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। लेकिन, मुंगेली में ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा। रेहुंटा दुकान का मामला इसका ताजा उदाहरण है, जहाँ सीसीटीवी में सबूत होने और सेल्समैन द्वारा गलती मानने के बाद भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर विभाग किसके दबाव में चुप बैठा है?